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युवाओं को नौकरी का झांसा देकर कैसे भेजते हैं रूस-यूक्रेन युद्ध में एजेंट्स, जानिए आखिर कैसे काम रहा ये पूरा नेटवर्क

प्रिंस सिन्हा संपादक

Russia- India TV Hindi

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नौकरी का झांसा देकर कैसे भेजते हैं रूस-यूक्रेन युद्ध में एजेंट्स

हाल ही देश भर से कुछ ऐसी खबरें आई, जिन्होंने हमें ठगों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया। बीते दिनों कुछ खबरें आईं कि कुछ युवकों को जबरन रशियन आर्मी में भर्ती कर यूक्रेन से लड़ने भेजा जा रहा है। इसे लेकर विदेश मंत्रालय अलर्ट हुआ और रशियन सरकार से बातचीत शुरू कर दी। ऐसे में आज हम आपको इस नेटवर्क से जुड़ी सारी जानकारी देने जा रहे हैं कि कैसे भारतीय युवाओं को विदेश में नौकरी के नाम पर रशिया-यूक्रेन के युद्ध मे फ्रंट लाइन पर भेजा जाता था?

 युवाओं को ऐसे झांसे में लेते हैं

इस नेटवर्क का सबसे पहला स्टेप होता है प्रमोशन यानी प्राइवेट वीजा कंसल्टेंसी की अलग-अलग कपनियां वीडियो, यूट्यूब के माध्यम से वीडियो बनाकर उन युवाओं से कनेक्ट होते थे जो विदेश में नौकरी के इच्छुक होते है। फिर इन युवाओं को कहा जाता है अलग-अलग किस्म की जॉब है, जैसे डिलीवरी बॉय, रशियन आर्मी में जॉब। आर्मी में जॉब के लिए ये कहते थे कि आपको बॉर्डर पर जाकर टैंक बंदूक नहीं चालाना न कोई युद्ध में जाना है। वे युवकों को भरोसे में लेते हैं कि ऐसा कुछ नहीं होगा।

वीडियो दिखाकर दिलाते है भरोसा

भरोसे के लिए रशिया से ये कुछ वीडियो बनाकर दिखाते थे कि देखिए यहां सब ठीक है हालात ठीक है, रशिया ने यूक्रेन के कुछ हिस्से को कब्जे में ले लिया है। यहां की आर्मी युद्ध क्षेत्र में है आपको वहां नहीं जाना है। बल्कि आपकी जॉब होगी, आर्मी में हेल्पर के तौर पर। जैसे कागजी कार्यवाही को संभालना, युद्ध में ध्वस्त हुई इमारतों को खाली कराना, उनकी लिस्ट बनाना आदि। इस तरह से आर्मी में हेल्पर का काम का बहाना दिया जाता है। फिर युवकों को कहा जाता था आपकी 3 महीने की ट्रेनिंग होगी, ट्रेनिंग के दौरान आपको 40,000 सैलरी मिलेगी, उसके बाद आपकी सैलरी 1 लाख हो जाएगी।

कांट्रेक्ट साइन के लिए करते हैं मजबूर

फिर जब युवा जिन्हें विदेश में नौकरी की चाहत होती थी वो रशिया जाते थे, यहां पहुंचते ही एजेंट उन्हें ले जाता था कैंप के किसी साइट पर और इन युवकों के सारे वैलिड डॉक्यूमेंट्स ले लेता था। फिर इन्हें कहा जाता था आपको युद्ध की ट्रेनिंग देकर फ्रंट लाइन पर भेजा जाएगा, जब युवा मना करते थे तो रशिया पुलिस उन्हें पकड़कर कहीं रखती थी और कहा जाता था या तो हमारे साथ एक कांट्रेक्ट साइन करो वरना 10 साल की सजा होगी। युवा बिना भाषा को समझे कांट्रेक्ट मजबूरी में साइन करते थे और फिर युवाओं को फ्रंट लाइन में लड़ने भेज दिया जाता था।

सीबीआई ने की 13 ठिकानों पर छापेमारी

इस मामले में हाल ही में सीबीआई ने एक्शन लिया है। सीबीआई ने 7 राज्यों में सीबीआई की 13 ठिकानों पर चल रही छापेमारी पूरी हो चुकी है। जांच में सामने आया है कि दिल्ली वाली वीजा कंसल्टेंसी कंपनी ने लगभग 180 भारतीय युवाओं को रशिया भेजा है। साथ ही सीबीआई ये भी जांच कर रही है जिनमें से कितने युवाओं को वार जॉन में भेजा गया है। जांच में सामने आया कि ज्यादातर युवाओं को स्टूडेंट वीजा पर रशिया भेजा जाता था। सीबीआई अब ये पता लगाने में जुट गई है कि कितने युवाओं को स्टूडेंट वीजा पर रशिया भेजा गया, जिन्होंने यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया और कितने ऐसे है जिन्होंने एडमिशन ही नहीं लिया ये भी पता लगाया जा रहा है। जांच में ज्यादातर युवा स्टूडेंट वीजा पर रशिया पहुंचकर यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने की बजाय गैरकानूनी तरीके से नौकरी में लग जाते थे।

37 पीड़ित आए सामने

हाल ही में इसी युद्ध में हैदराबाद के मोहम्मद असफान की मौत हो गई, इसकी जानकारी जब एंबेसी को लगी फिर सीबीआई ने सू-मोटो लेकर इन कंसल्टेंसी और इनके डायरेक्टर्स पर मुकदमा दर्ज करके रेड की और तमाम दस्तावेज सहित 50 लाख रुपए बरामद किए है। करीब 37 ऐसे पीड़ितों की बात सामने आई है जिन्हें धोखे से रशिया भेजा गया और आर्मी में लड़ने भेज दिया, जिसमें एक युवा की मौत और कई घायल हुए है। एमईए, होम मिनसिट्री, सीबीआई के साथ मिलकर युवाओं को रशिया से भारत लाने की कोशिश कर रही है और इन कंपनियों को चलाने वाले लोगो पर शिकंजा कसा जा रहा है।

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