प्रयागराज: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने यमुना और गंगा नदियों में बहाए जाने वाले मलजल संबंधी एक याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान NGT ने दोनों नदियों में मिलने वाले सभी नालों और मलजल शोधन संयंत्रों के निरीक्षण का निर्देश दिया है। एनजीटी ने पहले गठित समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहने की स्थिति में जिलाधिकारी को प्रयागराज में 2024-25 कुंभ मेले के दौरान स्वच्छ पानी की उपलब्धता के संबंध में 6 सप्ताह के भीतर अधिकरण के सामने पेश होने का निर्देश दिया है।
याचिका पर हुई सुनवाई
बता दें कि एनजीटी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया है कि प्रयागराज में सबसे बड़े धार्मिक कार्यक्रमों में से एक कुंभ मेले का आयोजन होना है, इसके बावजूद मलजल यमुना और गंगा नदियों में छोड़ा जा रहा है। पिछले महीने, अधिकरण ने एक संयुक्त समिति का गठन किया था, जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि, प्रयागराज के जिलाधिकारी और उत्तर प्रदेश जल निगम के मुख्य अभियंता शामिल थे। समिति को दोनों नदियों में मिलने वाले सभी नालों और मलजल शोधन संयंत्र का निरीक्षण करने और एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था।
डीएम को दिए निर्देश
अपनी सुनवाई में NGT ने कहा कि मलजल बहाए जाने के संबंध में रिपोर्ट जमा नहीं की गई है और जिलाधिकारी ने इसे जमा करने के लिए तीन महीने का समय मांगा है। अधिकरण ने कहा गया है कि समिति की “सीमित जिम्मेदारी” के तहत जिलाधिकारी द्वारा मांगी गई 3 महीने की समयावधि “अनुचित” है। उसने कहा कि ‘‘चूंकि संयुक्त समिति की रिपोर्ट आवश्यक है, इसलिए हम संयुक्त समिति को आवश्यक कार्य करने और तदनुसार रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त 6 सप्ताह का समय देते हैं। ऐसा ना करने पर जिला मजिस्ट्रेट प्रयागराज सुनवाई की अगली तारीख पर डिजिटल तरीके से पेश होंगे।’’ मामले की अगली सुनवाई की तिथि 21 मई निर्धारित की गई है।
(इनपुट- भाषा)
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