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राजीव गांधी पी.जी. कॉलेज अम्बिकापुर के वाणिज्य विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

प्रिंस सिन्हा संपादक

 अम्बिकापुर | दिनांक 28/06/2024 को राजीव गांधी पी.जी. कॉलेज अम्बिकापुर के वाणिज्य विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन मुख्य अतिथि डॉ. रामकुमार मिश्रा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रिजवान उल्ला, संगोष्ठी के संयोजक डॉ. ए.के. गौर व महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापकों की उपस्थिति में संपन्न हुआ |इस संगोष्ठी में कुल चार तकनिकी सत्र संचालित हुए जिसमें लगभग 20 लोगों ने अपने शोध-पत्र पढ़े | संगोष्ठी के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में रिसोर्स पर्सन डॉ. विजय प्रकाश ने अपने वक्तव्य में कहा कि व्यापार और वाणिज्य विशेष क्षेत्र नहीं है बल्कि यह कहना सही होगा कि यह आज का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है | ग्लोबलाइजेशन केवल बड़ी कम्पनियां या फर्म ही नही करतीं बल्कि छोटे से छोटे व्यवसाय एवं व्यापार भी इस पर व्यापक प्रभाव डालता है | अतिथि व्याख्यता प्रियांशु जायसवालने अंतराष्ट्रीय व्यापार एवं आर्थिक विकास के संबंधों पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि अंतराष्ट्रीय व्यापार से केवल व्यापार को ही नही बल्कि देशों के द्विपक्षीय संबंधों को भी मजबूती मिलती है।

द्वीतीय सत्र को संबोधित करते हुए साई बाबा कॉलेज के प्राचार्य श्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि इंटरनेशनल ट्रेड में केवल सेवाओं एवं वस्तुओं का आदान प्रदान नहीं होता बल्कि तकनिकी का भी आदान-प्रदान होता है। आज युवाओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि युवा ही देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत का सकते हैं | डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव ने अपने व्याख्यान में वाणिज्य और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को वैश्वीकरण की जड़ बताया| प्रो. मनहरण अनंत ने अपने उदबोधन में गवर्नमेंट पॉलिसी के फिजिकल ओर मॉनेटरी पॉलिसी पर प्रकाश डाला |

सेमिनार के इन दोनों सत्रों में रश्मि मित्तल, साक्षी अग्रवाल, सृष्टि शेफाली मिंज सहित कई शोधार्थियों ने फॉरेन इन्वेस्टमेंट, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, एफडीआई, एफआईआई विषयों पर तथा वाणिज्य के विभिन्न आयामों पर अपने शोध प्रस्तुत किये।

समापन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. रामकुमार मिश्रा ने बढती आर्थिक विषमता पर चिंता जताई उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण और उदारीकरण की प्रक्रिया ने आर्थिक विषमता को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है | आज देश को समावेशी वाणिज्य नीति की जरूरत है | छोटे और मझोले उद्द्योगों को प्रोत्साहित किया जाना बहुत जरूरी क्योंकि बड़े-बड़े उद्योग रोजगार पैदा करने में बुरी तरह असफल रहे हैं | आज भी सर्वाधिक रोजगार छोटे और मझोले औद्योगिक सृजित कर रहे हैं | अत्याधिक विषमता अशांति को जन्म देती है जबकि बेहतर वाणिज्य और विकास के लिए शांति पहली शर्त है | महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रिजवान उल्ला ने संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि महाविद्यालय इस तरह की शोध संगोष्ठी को लगातार आयोजित कराने हेतु प्रतिबद्ध है | उन्होंने महाविद्यालय के प्राध्यापकों से अपील की कि वे स्व प्रेरणा से आगे आकर इस तरह के आयोजनों की जिम्मेदारी लें जिससे महाविद्यालय अकादमिक ऊचाई हासिल कर सके | समापन सत्र का सञ्चालन श्रीमती रश्मिथ कौर ने तथा आभार ज्ञापन संगोष्ठी के संयोजक डॉ.ए.के.गौर ने किया | मुकेश निराला, संजीत सोनी, विक्की कुमार बघेल , रासदुल कादरी एवं सभी m.com के students का भी योग दान रहा है।

Prince Sinha
Author: Prince Sinha

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