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विश्व आदिवासी दिवस आदिवासी समाज द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया गया । हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग एकजुट होकर रंगारंग प्रस्तुति देते हुए नाच गान किए । विश्व आदिवासी दिवस पर शोभायात्रा निकालते हुए रैली में बच्चे बूढ़े महिलाओं समेत हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे ।

प्रिंस सिन्हा संपादक

जशपुर  / विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर कांसाबेल के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आम सभा का आयोजन किया गया । इस सभा में वक्ताओं ने आदिवासी समाज की एकता और संस्कृति व परंपराओं को संरक्षित करने पर जोर दिया । आदिवासी दिवस पर जशपुर जिले के कांसाबेल शहर में भव्य शोभायात्रा भी निकली । इस शोभा यात्रा में जनजातीय

समाज के लोग पारंपरिक परिधान पहन कर लोक संगीत पर नृत्य करते हुए शहर के प्रमुख मार्गों पर भ्रमण किए । आदिवासी समाज के लोग मांदर की थाप में झूमते नजर आए । बीते एक सप्ताह से ऊपर हो रही बारिश जो लगातार सुबह से भी हो रही थी उसके बाद भी विश्व आदिवासी दिवस समारोह में शामिल होने के लिए जिले के कोने-कोने के गांव से लोग इकट्ठा होकर कांसाबेल पहुंचे । भव्य रैली पूरे शहर में भ्रमण करने के पश्चात शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में समारोह का शुभारंभ करते हुए अतिथियों द्वारा भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया गया । शोभा यात्रा कांसाबेल के बेथेल स्कूल से प्रारंभ होकर बगीचा रोड से घूमते हुए बस स्टैंड पहुंची जहां पर आदिवासी समाज के लिए जगह-जगह पर नाश्ते एवं जलपान की व्यवस्था की गई थी एवं टांगर गांव रोड में शोभायात्रा पहुंचने के बाद रैली आमसभा में तब्दील हो गई । आदिवासी समाज के लोगों ने अपनी संस्कृति और परंपरा को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित करना जिम्मेदारी बताया । आदिवासी समाज के लोगों ने कहा कि हमें एकजुट होकर के रहना है ।

दूर-दूर से लोग आए हुए हजारों की संख्या में शासकीय स्कूल मैदान में दिखे एवं कार्यक्रम स्थल में आदिवासी महिलाओं और छोटे बच्चों के द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी गई । आदिवासी वेशभूषा में नृत्य करते हुए महिलाओं ने समाज के आगे अपनी प्रस्तुति दी । जल जंगल और जमीन की रक्षा आदिवासी ही कर सकता है इस नाटक की के माध्यम से प्रस्तुत किया गया । शहर में उराव, गोंड, कमर जनजाति के लोगों ने झूम कर उत्सव मनाया । शहर के चौक चौराहे एवं गलियों में सभी ने अपनी एकता का

संदेश देते हुए परिचय दिया । समाज के लोगों ने सुबह 11:00 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे तक एक ही स्थल में एक परिवार के रूप में अपनी पहचान दी एवं एकता का परिचय देते हुए सभी ने जमकर आनंद लिया । देर शाम आदिवासी नृत्य सभी ने एकजुट होकर किया एवं आने वाले समय पर एकता और संस्कृति व परंपराओं को संरक्षित करने पर जोर देने की बात कही ।

 

Prince Sinha
Author: Prince Sinha

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