नोएडा: नोएडा की कोतवाली सेक्टर 39 पुलिस ने नोएडा एनसीआर क्षेत्र में लगभग 100 से अधिक घटनाओं को अंजाम देने साउथ इंडिया के रहने वाले ट्राइबल जाति के ठक-ठक गैंग के चार बदमाशों को मेट्रो फ्लाईओवर के नीचे सेक्टर 44 से गिरफ्तार किया है। यह गैंग के गुलेल और छर्रे से चंद मिनटों में कार का शीशा तोड़कर चोरी की वारदात को अंजाम देता था। आरोपियों के कब्जे से चोरी के 27 लैपटॉप, गुलेल, स्मार्ट वॉच, घटना में प्रयोग होने वाली स्कूटी सहित अन्य सामान बरामद हुआ है।
चेन्नई का है यह गैंग
पुलिस ने संजय उर्फ माइकल, अमित कुमार, विक्रम और विग्नेश को गिरफ्तार किया है। ये ठक-ठक गिरोह के सदस्य हैं और दिल्ली के मदनगीर में रहते हैं। एडीसीपी शक्ति अवस्थी ने बताया कि यह चेन्नई का गैंग है जो बाजारों और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर खड़ी गाड़ियों का शीशा तोड़कर लैपटॉप सहित अन्य सामान चोरी करता है। चोरी के लैपटॉप को माइकल की पत्नी सिमरन, शशि, राजेश और विशाल दिल्ली के अलग-अलग बाजारों में बेचते हैं। चारों इस मामले में वांछित चल रहे हैं। इस गैंग के सदस्य राहुल के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा मकोका अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही की जा चुकी है। दिल्ली पुलिस संजय उर्फ माईकल को तलाश कर रही है। जो दिल्ली के अभियोगों में वांछित चल रहा है।
कैसे देते हैं घटना को अंजाम?
एडीसीपी ने बताया कि इस गैंग के सदस्य गुलेल में साइकिल में इस्तेमाल किए जाने वाले छर्रे से कार के शीशे पर मारते थे। शीशा हल्के आवाज के साथ चूर-चूर हो जाता था। फिर शीशे को साफ कर कार में रखे लैपटॉप, बैग, नकदी और दूसरे सामान उड़ा लेते थे। आरोपी दो स्कूटी पर सवार होकर चलते है। एक स्कूटी से रैकी कर गाड़ी को चिन्हित करके दूसरे स्कूटी पर सवार को बताया जाता है कि किस गाड़ी में सामान व लैपटॉप रखा है। गुलेल में छर्रे लगाकर शीशा तोड़कर बैग व लैपटॉप चोरी करके ले जाते हैं तथा चोरी किये गये बैग व लैपटॉप को बेच देते हैं।
गैंग को डेरा नाम से जाना जाता है
पूछताछ के दौरान बदमाशों ने बताया है कि नोएडा एनसीआर क्षेत्र में लगभग 100 से अधिक घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। पुलिस ने इनके कब्जे से 27 लैपटॉप, आठ बैग, कैमरामय बैग, लोहा छर्रे, नगद 3500 रुपये, विदेशी करेंसी, एक स्मार्ट वॉच मोटोरोला कंपनी, आर्टिफिशियल ज्वेलरी,17 अलग अलग कंपनी के चश्मे, चार मोबाइल और वारदात में इस्तेमाल की जाने वाली स्कूटी बरामद की है। जानकारी के अनुसार बदमाश काम तो चोरी का करते हैं और गिरोह को डेरा के नाम से पुकारते हैं। दिल्ली के मदनगीर में इन बदमाशों के करीब 100 डेरे हैं और हर डेरे में 5-6 सदस्य हैं। इस तरह से करीब 500 से 600 लोग इस चोरी की घटनाओं को अंजाम देते थे। साउथ इंडिया के रहने वाले ये ट्राइबल जाति के हैं, लेकिन इनकी भाषा तमिल, तेलगु या कन्नड़ नहीं है। इन्होंने आपसी बातचीत के लिए अपनी कोडवर्ड की अलग भाषा तैयार कर रखी है।