Sahitya Akademi Sahityotsav 2023: साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित छह दिवसीय साहित्योत्सव के चौथे दिन कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. इन कार्यक्रमों का मुख्य आकर्षण सांस्कृतिक कार्यक्रम रहा. सांस्कृतिक कार्यक्रम में निजामी ब्रदर्स की कव्वालियों ने श्रोताओं को देर शाम तक झूमने पर मजबूर कर दिया.
कव्वाली में निजामी बंधुओं की चर्चा प्रमुखता से होती है. निजामी बंधु सिकंदराबाद घराने से ताल्लुक रखते हैं. निजामी बंधु ऐसे पहले भारतीय कलाकार हैं जिन्होंने लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया है.
कव्वाली से पहले साहित्योत्सव में विभिन्न विषयों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए. साहित्योत्सव का मुख्य आयोजन ‘महाकाव्यों की स्मृतियां, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी थी. इस संगोष्ठी का उद्घाटन प्रतिष्ठ हिंदी लेखक और साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने किया. संगोष्ठी में प्रख्यात सामाजिक सिद्धांतकार एवं आलोचक आशीष नंदी, साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक और उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए.
इस अवसर पर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि हमारे दोनों महाकाव्य रामायण और महाभारत में हमारी स्वतंत्रता के प्रेरक तत्व भी समाहित है. महात्मा गांधी जहां तुलसी का रामचरित मानस से प्रेरणा लेते हैं तो बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और विपिनचंद्र पाल, गीता से प्रेरणा लेते रहे हैं.
‘महाकाव्यों की स्मृतियां, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी
विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि सत्याग्रह और स्वराज जो गांधीजी के सबसे बड़े शस्त्र थे. वे तुलसीदास की रामचरित मानस तक ही उन तक पहुंचते हैं.
प्रख्यात आलोचक आशीष नंदी ने कहा कि समाज की आंतरिक संवेदना हमारे महाकाव्यों में ही संरक्षित है. हमारे महाकाव्य जीवन के प्रति ज्यादा विविधता के साथ सोचने का अवसर देते हैं.
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि इन दोनों महाकाव्यों में हमारी जातीय स्मृतियां संरक्षित हैं. साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि भारत की आंतरिकता इन दोनों महाकाव्यों में बसती है.
एक अन्य कार्यक्रम में नाट्य लेखन पर हुई परिचर्चा का उद्घाटन प्रतिष्ठ अभिनेता मोहन अगाशे ने किया. मोहन अगाशे ने कहा कि नाटक लिखना और इसको प्रस्तुत करना दोनों अलग-अलग हैं. उन्होंने शब्दों की पूरी यात्रा का खाका खींचते हुए कहा कि अब शब्द हमारे साथ लगातार बने रहते हैं और उनसे हमें कितना और कैसा संबंध रखना है यह कोई और निर्धारित करता है.
नाट्य लेखन पर हुई परिचर्चा में अभिनेता मोहन अगाशे.
मोहन अगाशे ने कहा कि अच्छा लिखने, अच्छा देखने और अच्छा प्रस्तुत करने के लिए समस्त ज्ञानेंद्रियों का संतुलन आवश्यक है. इस परिचर्चा के अन्य सत्रों में दयाप्रकाश सिन्हा और टी.एम. अब्रहाम की अध्यक्षता में चंदन सेन, के.वाई. नारायणस्वामी, अभिराम भड़कमकर, दीवान सिंह बजेली, डी. श्रीनिवास ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए.
अन्य कार्यक्रमों में एक पृथ्वी एक परिवार, एक भविष्य विषय पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन भी आयोजित किया गया. कवि सम्मिलन की अध्यक्षता प्रख्यात हिंदी कवि एवं विद्वान लीलाधर जगूड़ी ने की. मुख्य अतिथि प्रसिद्ध संस्कृत कवि राजेंद्र मिश्र थे. कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध गीतकार डॉ. ओम निश्चल ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को भावभिवोर किया. डॉ. ओम निश्चल ने गीत प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरीं-
चांद को बदलियों ने देख लिया
फूल को तितलियों ने देख लिया
लाख छुपता रहा मगर उसको
आज फिर कनखियों ने देख लिया।
कवि सम्मेलन में काव्य पाठ करते हुए चर्चित गीतकार डॉ. ओम निश्चल.
कवि सम्मेलन में करबी डेका हाजरिका ने असमिया भाषा में, शिवाशीष मुखोपाध्याय ने बांग्ला में, नसीब सिंह मन्हास ने डोगरी, अश्विनी कुमार ने अंग्रेजी, हरीश मंगलम ने गुजराती और एल. हनुमतैया ने कन्नड़ भाषा में काव्य पाठ किया.
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Tags: Hindi Literature, Hindi Writer, Literature, Poet
FIRST PUBLISHED : March 14, 2023, 22:30 IST