भोपाल: बागेश्वर धाम सरकार के नाम से मशहूर हुए धीरेंद्र कृ्ष्ण शास्त्री के हालही में दिए बयान को मध्य प्रदेश सरकार की संस्कृति मंत्री का समर्थन मिला है। दरअसल हालही में बाबा बागेश्वर ने बयान दिया था कि अगर तुम्हारे घर में दो बच्चे हैं तो एक बच्चे को रामनवमी में शामिल करो और अगर 4 बच्चे हैं तो 2 बच्चों को हर साल रामनवमी में डाल दो। अगर अभी नहीं कर पाए तो फिर कब करोगे। हिंदू कब जागेंगे। अब बातों से काम नहीं चलना है। सड़कों पर निकलना पड़ेगा। अब बाहर निकलना पड़ेगा। बाहर निकल कर जगना पड़ेगा और सनातन के लिए कुछ करना पड़ेगा। चाहें पुरुष हो या चाहें माता हो, सबको जागना पड़ेगा।
मंत्री ने क्या कहा?
मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि अगर श्रेष्ठ जीवन चरित्र को आचरण में उतारना है तो राम के उत्सव में जाना पड़ेगा। मंत्री ने कहा भगवान श्री राम का जीवन चरित्र मानव के लिए बेहद प्रेरणादाई है। बच्चों को अपना जीवन सार्थक करने के लिए वहां भेजना चाहिए।
बता दें कि इससे पहले बाबा बागेश्वर देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात कह चुके हैं। उनकी इस बात को भक्तों का अपार जन समर्थन मिलने लगा है। बाबा जहां दिव्य दरबार लगाते हैं, भक्तों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है। बाबा का हर नया बयान नई फैन फॉलोइंग पैदा कर देता है। ऐसे ही बाबा के समर्थन में अब मध्य प्रदेश सरकार की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर भी सामने आई हैं।
संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने इंडिया टीवी से की बात
इंडिया टीवी से बात करते हुए मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि रामनवमी के जुलूस में बच्चों को क्यों नहीं भेजना चाहिए? भगवान राम का जीवन चरित्र मानवों के लिए बेहद प्रेरणादाई है। अगर रामजी के निर्देशों पर आप और हम चलने लगे तो संसार में कोई कष्ट कभी शेष ही नहीं रहेगा।
उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ जीवन चरित्र को अगर आचरण में उतारना है तो हमें उनके उत्सव में जाना जरूरी है। उनके जीवन चरित्र को पढ़ना और उनके जैसे काम करने की कोशिश करना, वही मानव जीवन को सार्थक करने का सबसे सशक्त माध्यम है।
बाबा के रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने वाले बयान पर क्या बोलीं उषा?
बाबा के रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने वाले बयान पर उषा ठाकुर ने कहा, ‘रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ क्यों नहीं बनाना चाहिए। रामचरितमानस आध्यात्म और भारतीय संस्कृति की रीढ़ है, सर्वश्रेष्ठ जीवन पद्धति, माता पिता के प्रति, समाज के प्रति, राष्ट्र के प्रति, भाई बहनों के प्रति, क्या दायित्व हों, सामाजिक समरसता कैसे व्याप्त हो, राष्ट्र की सीमाएं सुरक्षित कैसी हों, यही सब तो रामचरितमानस में बताया गया है। ऐसे में उसे क्यों राष्ट्रीय ग्रंथ नहीं बनाया जाए? वह तो राष्ट्रीय ग्रंथ ही है।’
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