
रायपुर। छत्तीसगढ़ में आयोजित डीजीपी–आईजीपी के 60वें अखिल भारतीय सम्मेलन ने देश की पुलिसिंग व्यवस्था के भविष्य की दिशा स्पष्ट कर दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि युवाओं और जनता के बीच पुलिस की छवि में सुधार राष्ट्रीय सुरक्षा जितना ही महत्वपूर्ण मुद्दा है। उन्होंने देश की पुलिस से कहा — दक्षता, संवेदनशीलता और जवाबदेही ही आने वाले समय में पुलिस की नई पहचान तय करेंगे।
सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने जिस तरह पुलिस–जनता संबंधों को एजेंडा के केंद्र में रखा, उसे विशेषज्ञ अगली बड़ी पुलिसिंग नीति का संकेत मान रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि नई पीढ़ी के साथ पुलिस का संपर्क बढ़े बिना भरोसा मजबूत नहीं होगा, और भरोसा ही कानून-व्यवस्था का असली आधार है।
प्रधानमंत्री ने पहली बार पुलिसिंग को टेक्नोलॉजी + भरोसा मॉडल के रूप में परिभाषित किया।
🔹 AI आधारित राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड🔹 फोरेंसिक-केंद्रित जांच व्यवस्था🔹 तटीय और द्वीप सुरक्षा में टेक्नोलॉजी की बड़ी भूमिका🔹 शहरी और पर्यटन
इन सबके साथ उन्होंने कहा कि पुलिस को जमीन पर उतनी ही आधुनिक होनी चाहिए, जितनी डिजिटल दुनिया में। ऑन-ग्राउंड पुलिसिंग पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने भूकंप, बाढ़ और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपात स्थितियों में पुलिस की निर्णायक भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में सक्रिय तैयारी, त्वरित प्रतिक्रिया और विभागों के बीच तालमेल जीवन बचा सकता है, पुलिस को इसमें नेतृत्वकारी भूमिका लेनी चाहिए। सम्मेलन में नए भारतीय दंड संहिताओं पर जन जागरूकता को भी बड़ी प्राथमिकता दी गई। पीएम ने निर्देश दिया कि कानून केवल बदले नहीं, जनता तक उसकी समझ भी पहुंचे।सम्मेलन में पहली बार शहरी पुलिस व्यवस्था पुरस्कार दिए गए, जिसे पीएम मोदी ने प्रतियोगिता नहीं, नवाचार का मंच बताया।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह स्मार्ट पुलिसिंग मॉडल वाले शहरों की राष्ट्रीय रैंकिंग की दिशा में पहला कदम है।सम्मेलन के समापन संदेश में प्रधानमंत्री ने साफ कहा विकसित भारत के लिए आधुनिक पुलिस व्यवस्था अनिवार्य है। पुलिस केवल सुरक्षा नहीं, विश्वास का स्तंभ है।
रायपुर से मिले संकेत स्पष्ट हैं आने वाले वर्षों में पुलिसिंग का फोकस अपराध नियंत्रण से आगे बढ़कर भरोसा निर्माण, तकनीक और नागरिक-केंद्रित व्यवस्था पर होगा।




