देश में पहली बार नेशनल हाईवे पर 5 मिमी रेड टेबल-टॉप मार्किंग का प्रयोग, वन्यजीव सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम

भोपाल/जबलपुर। भारत में वन्यजीव संरक्षण और सड़क सुरक्षा की दिशा में पहली बार नेशनल हाईवे पर 5 मिमी की रेड टेबल-टॉप रोड मार्किंग का प्रयोग किया गया है। यह अभिनव प्रयोग मध्यप्रदेश के नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में नेशनल हाईवे-45 (जबलपुर–भोपाल मार्ग) पर 11.96 किलोमीटर के हिस्से में किया गया है।

इस विशेष रेड टेबल-टॉप मार्किंग का उद्देश्य स्पष्ट है कि वाहनों की गति को स्वाभाविक रूप से कम करना, ताकि घाटी और कोर फॉरेस्ट एरिया से गुजरते समय वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह मार्किंग सड़क पर हल्का उभार और दृश्य संकेत उत्पन्न करती है, जिससे चालक अनायास ही धीमी गति अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) द्वारा यह प्रयोग अंतरराष्ट्रीय (International Best Practices) के आधार पर किया गया है। यूरोप और अन्य देशों में इस तरह की टेबल-टॉप मार्किंग का उपयोग स्पीड कैल्मिंग और एक्सीडेंट रिडक्शन के लिए किया जाता रहा है। अब भारत में इसे पहली बार वन्यजीव संरक्षण के उद्देश्य से लागू किया गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, नौरादेही अभयारण्य क्षेत्र में हिरण, तेंदुआ, सियार सहित कई वन्यजीवों की आवाजाही रहती है। तेज गति वाले वाहनों के कारण सड़क दुर्घटनाओं में वन्यजीवों की मौत का खतरा बना रहता है। यह नई तकनीक ड्राइवर बिहेवियर को नियंत्रित कर दुर्घटनाओं की आशंका को काफी हद तक कम करेगी।

यह पहल न केवल रोड सेफ्टी बल्कि पर्यावरण-संवेदनशील अधोसंरचना विकास का भी मजबूत उदाहरण है। यह प्रयोग सफल रहता है, तो आने वाले समय में देश के अन्य वन क्षेत्रों से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी इसे लागू किया जा सकता है।
गडकरी ने वीडियो शेयर किया,कहा – विकास के साथ पर्यावरण संतुलन!
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वन्यजीव संरक्षण और सड़क सुरक्षा से जुड़ी एक अहम पहल का वीडियो साझा करते हुए कहा कि “विकास तभी सार्थक है, जब वह पर्यावरण के साथ संतुलन बनाकर आगे बढ़े।”नितिन गडकरी ने मध्यप्रदेश के नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र से गुजरने वाले नेशनल हाईवे-45 (जबलपुर–भोपाल मार्ग) पर किए गए अभिनव प्रयोग की सराहना की। उन्होंने बताया कि इस संवेदनशील वन क्षेत्र में 5 मिमी रेड टेबल-टॉप रोड मार्किंग का प्रयोग किया गया है, जिससे वाहन चालक स्वाभाविक रूप से धीमी गति अपनाएं और वन्यजीव सुरक्षित रह सकें।




