अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही सलामी गार्ड ऑफ ऑनर की परंपरा छत्तीसगढ़ में समाप्त

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने एक ऐतिहासिक और दूरगामी निर्णय लेते हुए अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही सलामी गार्ड गार्ड ऑफ ऑनर की प्रचलित व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। गृह (सामान्य) विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार यह फैसला पुलिस बल की कार्यक्षमता बढ़ाने और औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाने वाली प्रक्रियाओं को खत्म करने के उद्देश्य से लिया गया है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। राज्य शासन ने स्पष्ट किया है कि अब सामान्य दौरों, आगमन-प्रस्थान और निरीक्षण के दौरान माननीय गृह मंत्री, अन्य मंत्रीगण, पुलिस महानिदेशक सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सलामी गार्ड नहीं दिया जाएगा।

इसके साथ ही जिलों में भ्रमण या दौरे के समय अधिकारियों के सम्मान में दी जाने वाली सलामी की पुरानी व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। शासन का मानना है कि इससे पुलिस बल के संसाधनों और मानव शक्ति का उपयोग औपचारिकताओं के बजाय कानून-व्यवस्था और जनसुरक्षा के कार्यों में बेहतर ढंग से हो सकेगा।
हालांकि, राष्ट्रीय और राजकीय महत्व के आयोजनों को इस निर्णय से बाहर रखा गया है। गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), शहीद पुलिस स्मृति दिवस (21 अक्टूबर) और राष्ट्रीय एकता दिवस (31 अक्टूबर) जैसे अवसरों पर औपचारिक सलामी गार्ड पूर्ववत दी जाएगी। इसके अलावा राजकीय समारोहों और पुलिस दीक्षांत परेड में भी सलामी गार्ड की परंपरा जारी रहेगी।
संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों और विशिष्ट अतिथियों के लिए प्रोटोकॉल के अनुसार सलामी गार्ड की व्यवस्था यथावत रखी गई है, ताकि संवैधानिक गरिमा और निर्धारित परंपराओं का सम्मान बना रहे।
गृह विभाग के इस फैसले को प्रशासनिक सुधारों की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि पुलिस बल का मूल उद्देश्य सेवा, सुरक्षा और सुशासन है, न कि औपनिवेशिक दौर की औपचारिक परंपराओं का निर्वहन। यह आदेश छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के नाम से जारी किया गया है और डिजिटल रूप से प्रमाणित है।




