नवा रायपुर में मंत्री, पर रायपुर के बंगले अब भी आबाद- मेंटेनेंस पर बढ़ा करोड़ों का बोझ, सियासत भी गरमाई

रायपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के गठन के बाद अधिकांश मंत्रीगण नवा रायपुर में बने आलीशान बंगलों में शिफ्ट हो गए हैं, लेकिन उन्होंने रायपुर स्थित पुराने बंगले अब तक खाली नहीं किए हैं। इस वजह से सरकार को मेंटेनेंस पर कई करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है। वहीं, अब इसे लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है।
पुराने बंगले अब भी कब्जे में
राज्य सरकार ने नवा रायपुर को राजधानी के रूप में विकसित करने में अरबों रुपये खर्च किए। मंत्रालय, विधानसभा भवन, मुख्यमंत्री निवास और मंत्रियों के नए बंगले बनाए गए। उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने पुराने बंगले को हैंडओवर कर नए बंगले में शिफ्ट भी कर लिया है। इसके अलावा कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम, केदार कश्यप और लक्ष्मी राजवाड़े भी नवा रायपुर में शिफ्ट हो चुके हैं। लेकिन कई मंत्री अब भी रायपुर और नवा रायपुर दोनों जगहों के बंगले इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे मेंटेनेंस का बोझ तेजी से बढ़ा है।
मेंटेनेंस पर बढ़ रहा बोझ — आंकड़े चौंकाने वाले
| पुराने बंगलों के मेंटेनेंस पर पहले लगभग 3 करोड़ रुपये खर्च होते थे। |
| अब उद्यानिकी विभाग ने अतिरिक्त कर्मचारियों और खर्च के लिए 6 करोड़ रुपये की मांग की है। |
| 200 की जगह 350 श्रमिकों से दोनों जगहों के बंगलों का मेंटेनेंस कराया जा रहा है। |
| शिफ्टिंग के बाद उद्यानिकी विभाग का बजट लगभग दोगुना हो गया है। |
| विभाग ने शासन को इस संबंध में आधिकारिक पत्र भी भेजा है। |
नवा रायपुर को राजधानी के रूप में बसाने की प्रक्रिया के बीच अब बंगले का यह मुद्दा राजनीतिक तूल पकड़ने लगा है।
कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि जल्द ही सभी मंत्री नवा रायपुर में शिफ्ट हो जाएंगे। पुराने।बंगलो को खाली कर अन्य उपयोग में लाया जाएगा।
नवा रायपुर को राजधानी के रूप में बसाने में अरबों खर्च हुए हैं, लेकिन मंत्री अब भी दो जगह बंगले इस्तेमाल कर रहे हैं। यह जनता पर अतिरिक्त बोझ है- भूपेश बघेल,पूर्व सीएम
सरकार पर बढ़ा बोझ
उद्यानिकी विभाग ही नहीं, बल्कि PWD समेत कई अन्य विभागों पर भी इस दोहरी व्यवस्था का भार पड़ रहा है। नवा रायपुर में मंत्रियों के रहने से वहां का प्रशासनिक बोझ बढ़ा है, जबकि रायपुर के बंगले भी उपयोग में होने के कारण पुराने खर्च अब भी जारी हैं।




