
रायपुर। छत्तीसगढ़ के इतिहास में आज एक ऐतिहासिक पड़ाव हासिल हुआ है। नक्सल आतंक के गढ़ माने जाने वाले अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर को नक्सलमुक्त घोषित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे “बस्तर के विश्वास, विकास और शांति की जीत” बताया है।बीते दो दिनों में 258 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बदलाव बंदूक से नहीं, बल्कि विश्वास की ताकत से आया है।
बस्तर भय नहीं, विश्वास की पहचान
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि उत्तर बस्तर और अबूझमाड़ का नक्सलमुक्त होना यह साबित करता है कि अब बस्तर भय नहीं, बल्कि विकास की नई पहचान बन चुका है। उन्होंने कहा हिंसा की राह अंतहीन दर्द देती है, जबकि आत्मसमर्पण जीवन को नई दिशा देता है। जो नक्सली हथियार छोड़ शांति का रास्ता चुनेंगे, उनका स्वागत है, लेकिन जो आतंक फैलाएंगे, उन्हें सख्त कार्रवाई झेलनी होगी।

डबल इंजन सरकार की रणनीति का असर
मुख्यमंत्री ने कहा कि 31 मार्च 2026 तक पूरे छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त बनाने का लक्ष्य अब बहुत नजदीक है।इस परिवर्तन में “नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” और “नियद नेल्ला नार योजना” की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।अब तक 64 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए जा चुके हैं।वनांचलों में शासन के प्रति विश्वास और संवाद बढ़ा है।स्थानीय युवाओं को विकास से जोड़ने के प्रयासों ने नक्सली संगठनों की पकड़ कमजोर की है।
बंदूक नहीं, संविधान पर विश्वास की शक्ति जीत रही है – शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर जैसे क्षेत्र जो कभी नक्सल आतंक के गढ़ थे, अब नक्सलमुक्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा यह न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा की बड़ी सफलता है, बल्कि विकास और संवेदना की नई कहानी भी है। बंदूक नहीं, संविधान पर विश्वास की शक्ति जीत रही है। उन्होंने आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों की सराहना की और बाकी से भी मुख्यधारा में लौटने की अपील की।
नक्सल उन्मूलन अभियान — अब तक के प्रमुख तथ्य
| 258 नक्सलियों ने दो दिनों में आत्मसमर्पण किया। |
| 22 महीनों में 477 नक्सली मारे गए |
| 2110 आत्मसमर्पण और 1785 गिरफ्तारियां |
| 64 नए सुरक्षा कैंप स्थापित |
| 31 मार्च 2026 तक नक्सलमुक्त छत्तीसगढ़ का लक्ष्य |
अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर का नक्सलमुक्त होना न केवल सुरक्षा बलों की बहादुरी का प्रमाण है, बल्कि छत्तीसगढ़ में शांति, विश्वास और विकास की दिशा में एक निर्णायक कदम है। दक्षिण बस्तर में भी अभियान अपने निर्णायक चरण में पहुंच चुका है और सरकार को विश्वास है कि आने वाले महीनों में पूरा राज्य नक्सल आतंक से मुक्त होगा।



