
अजय चंद्राकर के हस्तक्षेप पर विपक्ष नाराज, गर्भगृह तक पहुंचे विपक्ष के विधायक
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में शून्यकाल के दौरान विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखा टकराव देखने को मिला। नेता प्रतिपक्ष भूपेश बघेल ने ईडी, सीबीआई और एसीबी जैसी जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का मुद्दा उठाते हुए स्थगन प्रस्ताव पेश किया। विपक्ष का आरोप था कि केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को डराने-धमकाने के लिए किया जा रहा है।
हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष ने चर्चा से पहले ही स्थगन प्रस्ताव को अग्राह्य कर दिया। जिसके बाद विपक्ष भड़क उठा। विपक्षी विधायकों ने सवाल उठाया कि “क्या सदन एक व्यक्ति की इच्छा से चलेगा?” यह टिप्पणी अजय चंद्राकर के लगातार हस्तक्षेप को लेकर की गई।
स्थगन प्रस्ताव खारिज होते ही सदन में नारेबाजी तेज हो गई। विपक्ष के विधायक ‘सत्यमेव जयते’ के नारे लगाते रहे,जबकि सत्ता पक्ष के विधायक ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाते दिखे।
हंगामा बढ़ने पर विपक्ष के विधायक नारेबाजी करते हुए गर्भगृह तक पहुंच गए। हालात बिगड़ते देख विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर विपक्ष के सभी विधायक कार्यवाही से निलंबित कर दिए गए। इसके बाद कांग्रेस के 34 विधायक निलंबित होकर सदन से बाहर निकल गए।
कुछ समय बाद विधानसभा अध्यक्ष ने निलंबन बहाल करते हुए सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू कराई। इस दौरान अध्यक्ष ने विपक्ष के हंगामे पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि “प्रश्नकाल को बाधित करना जनता के अधिकारों का हनन है। प्रश्नकाल की तैयारी में सरकार का समय और पैसा लगता है। मैं विपक्षी सदस्यों की निंदा करता हूं।”
वहीं, अजय चंद्राकर ने सदन में स्पष्ट किया कि केंद्रीय जांच एजेंसियों के खिलाफ विधानसभा में चर्चा नहीं हो सकती, इसी कारण अध्यक्ष ने अपने कक्ष में प्रस्ताव को खारिज किया था। उन्होंने सवाल किया कि जब आसंदी का निर्देश आ चुका था, तो सदन में फिर चर्चा क्यों की जा रही थी।



