विधानसभा में वन्दे मातरम पर चर्चा, सीएम साय ने बोले – “वंदे मातरम हमें चेतना से जोड़ता है, इतिहास से सीख नहीं लेने वालों का भविष्य बर्बाद हो जाता है”

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सदन में राष्ट्रगीत वंदे मातरम पर चर्चा हुई। चर्चा की कार्यवाही में विशेष बात यह रही कि विपक्ष भी वंदे मातरम पर हो रही चर्चा में शामिल हुआ।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सदन में वक्तव्य देते हुए कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की चेतना, आत्मा और बलिदान की गौरवगाथा है। उन्होंने दो टूक कहा कि जो समाज और सत्ता इतिहास से सीख नहीं लेती, उसका भविष्य बर्बाद हो जाता है।मुख्यमंत्री साय ने कहा कि भारत में भूमि को मां के रूप में पूजा जाता है और यही भाव वंदे मातरम में निहित है। उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन सरकारों ने तुष्टिकरण की राजनीति के चलते वंदे मातरम के मूल स्वरूप को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। मुस्लिम लीग के विरोध के कारण इसे अधूरा अपनाया गया। सीएम ने कहा कि इस गीत के साथ अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमा है। वंदे मातरम देशवासियों को चेतना, राष्ट्रभाव और त्याग से जोड़ता है।
वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ.महंत ने भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि इस विषय पर चर्चा निष्पक्ष होनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिस गीत को गाकर लोगों ने अपने प्राण न्योछावर किए, उसी गीत के नाम पर आज समाज को बांटने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए कहा कि प्रारंभ में वंदे मातरम के केवल दो अंतरे थे, बाद में आनंद मठ उपन्यास में शेष अंतरे जोड़े गए। मुस्लिम समाज में विवाद और टकराव की स्थिति उत्पन्न होने पर आधे गीत को ही स्वीकार किया गया।
इसके पहले विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने भी चर्चा को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य दिया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम स्वतंत्रता आंदोलन की ऊर्जा रहा है। उन्होंने कहा वंदे मातरम के 50 वर्ष पूरे होने पर देश गुलामी में था, 100 वर्ष पूरे होने पर देश पर आपातकाल थोपा गया और 150 वर्ष पूरे होने पर देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार है। डॉ. सिंह ने कहा कि वंदे मातरम पर चर्चा इसलिए आवश्यक है क्योंकि देश एक नए युग की ओर अग्रसर है।



