छत्तीसगढ़

छोटी सी उम्र में साहिबजादों ने वीरता और बलिदान की अमिट मिसाल पेश की: CM साय

वीर बाल रैली में शामिल हुए मुख्यमंत्री, हरी झंडी दिखाकर किया शुभारंभ

रायपुर। छोटी सी उम्र में गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों द्वारा प्रदर्शित अदम्य साहस, आस्था और बलिदान युगों-युगों तक मानवता को प्रेरणा देता रहेगा। यह विचार मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ राज्य अल्पसंख्यक आयोग द्वारा आयोजित वीर बाल रैली को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मुख्यमंत्री ने राजधानी रायपुर के मरीन ड्राइव से रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

इस भव्य रैली में 5,000 से अधिक स्कूली छात्र-छात्राओं, स्काउट-गाइड और एनसीसी कैडेट्स ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। रैली में सिख परंपरा की वीरता को दर्शाती गतका जैसी साहसिक गतिविधियाँ, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और प्रेरणादायी झांकियाँ आकर्षण का केंद्र रहीं, जिन्होंने उपस्थित जनसमूह को भावनात्मक रूप से जोड़ा।

वीर बाल दिवस का ऐतिहासिक महत्व: मुख्यमंत्री साय ने कहा कि 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में हम दशम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों — बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी — के अद्वितीय बलिदान को नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि मात्र 9 वर्ष और 7 वर्ष की अल्पायु में साहिबजादों ने जिस निर्भीकता और धर्मनिष्ठा का परिचय दिया, वह मानव इतिहास में विरल है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि साहिबजादों ने किसी भी प्रकार के दबाव के आगे झुकने से इंकार करते हुए सत्य, धर्म और आस्था की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। यह बलिदान केवल सिख समाज के लिए नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है।

नई पीढ़ी को इतिहास से जोड़ना हमारा नैतिक दायित्व: मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सिख धर्म की गौरवशाली परंपरा पर पूरे देश को गर्व है। साहिबजादों के बलिदान और मूल्यों से नई पीढ़ी को परिचित कराना हमारा नैतिक दायित्व है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2022 से वीर बाल दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे बच्चों और युवाओं में शौर्य, साहस और राष्ट्रप्रेम की भावना सुदृढ़ हुई है।

गुरु गोबिंद सिंह जी का संदेश आज भी प्रेरक: मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम साहिबजादों के जीवन को देखते हैं, तो गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा दिए गए संस्कारों और शिक्षाओं पर गर्व होता है। खालसा पंथ की स्थापना कर उन्होंने अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष का मार्ग दिखाया।उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह जी की प्रसिद्ध पंक्तियाँ उद्धृत करते हुए कहा—“सवा लाख से एक लड़ाऊँ, चिड़ियन ते मैं बाज लड़ाऊँ, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहलाऊँ।”यह पंक्तियाँ आज भी हर भारतीय के भीतर साहस, आत्मविश्वास और संघर्ष की चेतना जगाती हैं।

साधन नहीं, संकल्प से मिलती है विजय: मुख्यमंत्री साय ने कहा कि ये पंक्तियाँ हमें सिखाती हैं कि साधन नहीं, बल्कि साहस और संकल्प ही विजय का मार्ग प्रशस्त करते हैं। भारत की धरती धन्य है, जिसने ऐसे महान गुरुओं और साहिबजादों को जन्म दिया। उन्होंने इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए छत्तीसगढ़ राज्य अल्पसंख्यक आयोग एवं शिक्षा विभाग को बधाई और शुभकामनाएँ दीं।

गणमान्य जनप्रतिनिधि रहे उपस्थित: कार्यक्रम में रायपुर उत्तर विधायक पुरंदर मिश्रा, क्रेडा अध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी, सीजीएमएससी अध्यक्ष दीपक म्हस्के, छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा,CSCS डायरेक्टर बलदेव भाटिया सहित सिख समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधि, समाजसेवी एवं विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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CG Bulletin Desk1

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