
GST विभाग ने ED की तरह सजाई बरामद नोटों की गड्डियां
रायपुर – राज्य जीएसटी विभाग ने करोड़ों रुपये के जीएसटी घोटाले का पर्दाफाश किया है। विभाग की बीआईयू टीम ने जीएसटी एनालिटिक्स और इंटेलिजेंस नेटवर्क तथा जीएसटी प्राइम पोर्टल की मदद से बोगस फर्म और फर्जी बिल तैयार करने वाले बड़े सिंडिकेट का खुलासा किया है।
इस घोटाले का मास्टरमाइंड मो. फरहान सोरठिया बताया जा रहा है, जो जीएसटी कर सलाहकार के रूप में काम करता था। फरहान ने अपने 5 स्टाफ की मदद से 170 से अधिक फर्जी फर्मों का पंजीयन कराया और उन्हीं के माध्यम से बोगस ई-वे बिल और जीएसटी रिटर्न तैयार कराए।
जांच में खुलासा हुआ कि केवल 26 फर्मों से ही 822 करोड़ रुपये का ई-वे बिल जनरेट किया गया, जबकि रिटर्न में महज 106 करोड़ रुपये का टर्नओवर दिखाया गया। प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक राज्य को इनसे करीब 100 करोड़ रुपये के जीएसटी का नुकसान हुआ है।
जीएसटी अधिकारियों ने बताया कि फरहान के ऑफिस से बोगस पंजीयन से जुड़े किरायानामा, सहमति पत्र और एफिडेविट जैसे दस्तावेज भी मिले हैं। साथ ही, पंजाब, असम, मणिपुर और ओडिशा में भी फर्जी पंजीयन कराए जाने की जानकारी मिली है।
विभाग को गुप्त सूचना मिली थी कि फरहान ने घोटाले से जुड़े दस्तावेज अपने चाचा के घर छुपा रखे हैं। इसी आधार पर 17 सितंबर को मो. अब्दुल लतीफ सोरठिया के आवास पर छापेमारी की गई, जहां से 1.64 करोड़ रुपये नकद और 400 ग्राम सोने के चार बिस्किट जब्त किए गए। जब्त की गई रकम की सूचना आयकर विभाग को भी दे दी गई है।
फर्जी कंपनियों के जरिये इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने वाली कई कंपनियां, ब्रोकर और स्क्रैप डीलर भी अब जांच के घेरे में आ गए हैं। राज्य कर विभाग ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और विधिक कार्रवाई आगे बढ़ाई जा रही है।



