
रायपुर। वन अधिकार पट्टा घोटाले के मामले में जेल में बंद कांग्रेस नेता और चारामा के पूर्व जनपद अध्यक्ष जीवन ठाकुर की मौत ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। मेकाहारा में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। जेल प्रशासन का दावा है कि तबीयत बिगड़ने पर उन्हें तत्काल इलाज के लिए अस्पताल लाया गया, लेकिन परिजनों ने आरोप लगाया है कि जेल प्रबंधन की लापरवाही और इलाज में देरी उनके निधन की वजह बनी।
जानकारी के अनुसार जीवन ठाकुर अक्टूबर 2024 से कांकेर जेल में बंद थे। लेकिन 2 दिसंबर को उन्हें बिना सूचना रायपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट किया गया। तीन दिन बाद ही उनकी तबीयत अचानक खराब होने की बात कही गई और इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई।परिजनों ने आरोप लगाया है कि परिवार को जेल शिफ्टिंग की जानकारी नहीं दी गई। बीमारी की जानकारी भी समय पर नहीं दी गई। सही समय पर इलाज मिलता तो जान बच सकती थी।
घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। विपक्ष इस मौत को लेकर सरकार और जेल प्रशासन पर सवाल खड़े कर सकता है। वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता इसे “संदिग्ध परिस्थितियों में मौत” बता रहे हैं और मामले की न्यायिक जांच की मांग की तैयारी में हैं।
उधर जेल प्रशासन का कहना है कि तबीयत बिगड़ने के बाद प्रोटोकॉल के अनुसार ही इलाज की व्यवस्था की गई और पूरे मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के असल कारणों का पता चल सकेगा।




