
रायपुर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी भिलाई) के वैज्ञानिकों ने चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक खोज कर नई दिशा दिखाई है। संस्थान के शोधकर्ताओं ने ऐसे स्मार्ट 4डी प्रिंटेड पॉलिमर विकसित किए हैं, जो तापमान के अनुसार अपना आकार बदलने में सक्षम हैं।यह नवाचार भविष्य में सर्जरी, दवा वितरण और इम्प्लांट तकनीक को पूरी तरह बदल सकता है।
इस क्रांतिकारी शोध का नेतृत्व वैज्ञानिक भानेन्द्र साहू, निशिकांत सिंह, सुदीप्त पॉल और डॉ. संजीब बनर्जी की टीम ने किया। टीम ने ऐसे ‘बुद्धिमान पॉलिमर’ तैयार किए हैं जो वातावरण के तापमान के अनुरूप मुड़ने, फैलने या सिकुड़ने की क्षमता रखते हैं। यानी ये सामग्री अपने आसपास की स्थिति को “समझकर” स्वयं अपना आकार बदल सकती है।
4डी प्रिंटिंग: समय के साथ बदलने वाली तकनीक
जहां 3डी प्रिंटिंग स्थिर वस्तुएं बनाती है, वहीं 4डी प्रिंटिंग में “समय” को एक अतिरिक्त आयाम के रूप में जोड़ा गया है।इस तकनीक से बनी वस्तुएं तापमान, नमी या किसी विशेष उत्तेजना के प्रति प्रतिक्रिया देते हुए अपने आकार या संरचना में बदलाव कर सकती हैं। आईआईटी भिलाई का यह नवाचार इसी सिद्धांत पर आधारित है और इसे “रिस्पॉन्सिव स्मार्ट मटेरियल” कहा जा रहा है।
सर्जरी और इम्प्लांट तकनीक में आएगा बड़ा बदलाव
इन 4डी पॉलिमर्स की मदद से भविष्य में ऐसे चिकित्सकीय उपकरण और इम्प्लांट्स बनाए जा सकेंगे, जोशरीर के तापमान पर खुद सक्रिय हो जाएंगे,शरीर के अंदर पहुंचकर स्वतः फैल या सिकुड़कर सही आकार ले लेंगे,और लक्षित दवा वितरण (Targeted Drug Delivery) को संभव बनाएंगे।
भारत को वैश्विक वैज्ञानिक पहचान
आईआईटी भिलाई की यह खोज भारत को वैश्विक बायोमेडिकल अनुसंधान में अग्रणी पंक्ति में ला सकती है। क्योंकि इससे मिनिमली इनवेसिव सर्जरी और इंजेक्टेबल बायो-रोबोट्स जैसी उन्नत तकनीकों का विकास तेज होगा। यह नवाचार पॉलिमर विज्ञान, रोबोटिक्स और चिकित्सा प्रौद्योगिकी को जोड़ते हुए “इंटेलिजेंट मटेरियल्स” की दिशा में बड़ा कदम है।ऐसे मटेरियल भविष्य में शल्य चिकित्सा के जोखिम घटाने और रोगी-केंद्रित उपचार प्रणाली को नई परिभाषा देंगे।



