
बेमेतरा / चिरमिरी —कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के तहत चल रही बैठकों में पार्टी के अंदर ही टकराव और मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं। बुधवार को बेमेतरा और चिरमिरी में हुई दो अलग-अलग बैठकों में जोरदार हंगामा हुआ। एक ओर महिला नेत्री ने धक्का-मुक्की और अभद्रता का आरोप लगाया है, तो दूसरी ओर कार्यकर्ताओं के बीच नारेबाजी को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि पर्यवेक्षकों को बीच-बचाव करना पड़ा।
चिरमिरी में मचा हंगामा
चिरमिरी के खड़गवां रेस्ट हाउस में कांग्रेस संगठन सृजन अभियान की बैठक के दौरान युवा कांग्रेस (युकां) कार्यकर्ताओं द्वारा नारे लगाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया। कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया, जिससे कार्यकर्ताओं के बीच तीखी बहस और हंगामा शुरू हो गया। मौके पर मौजूद पर्यवेक्षक ने कार्यकर्ताओं को शांत कराने की कोशिश की, लेकिन विवाद बढ़ता चला गया। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी सामने आया है।

बेमेतरा में महिला नेत्री के साथ अभद्रता का आरोप
बेमेतरा जिले के ग्राम कुंरा में कांग्रेस संगठन सृजन अभियान की बैठक में अचानक हंगामा हो गया। जानकारी के मुताबिक बैठक के दौरान कांग्रेस के एक नेता और महिला कांग्रेस की ब्लॉक उपाध्यक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। महिला नेत्री ने आरोप लगाया कि उसके साथ धक्का-मुक्की और अभद्र व्यवहार किया गया।
इस दौरान मौके पर AICC ऑब्जर्वर श्यामकुमार भी मौजूद थे। विवाद बढ़ता देख बैठक का माहौल तनावपूर्ण हो गया। बाद में पीड़ित महिला नेत्री ने इस पूरे मामले की शिकायत नांदघाट थाने में दर्ज कराई और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
जिला अध्यक्षों की नियुक्ति का नया सिस्टम भी बना वजह?
कांग्रेस ने हाल ही में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए नया सिस्टम लागू किया है। अब जिलों के संगठन अध्यक्षों की नियुक्ति केवल आलाकमान की सिफारिश पर नहीं, बल्कि केंद्रीय परीक्षकों (पर्यवेक्षकों) के सर्वे और रायशुमारी के आधार पर होगी। लेकिन जब केंद्रीय पर्यवेक्षक जिलों में पहुंच रहे हैं तो अलग-अलग गुटों के नेता एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें लेकर सामने आ रहे हैं। इससे बैठकों में टकराव और विवाद की स्थितियां बन रही हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह नया सिस्टम पारदर्शिता के उद्देश्य से बनाया गया है, लेकिन जमीनी स्तर पर गुटबाजी के कारण इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।
कांग्रेस संगठन सृजन अभियान का उद्देश्य जिलों में संगठन को मजबूत बनाना और कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल बढ़ाना है। लेकिन लगातार दो जिलों में हुई घटनाओं ने पार्टी में गुटबाजी और आपसी मतभेद की तस्वीर को उजागर कर दिया है। पार्टी के अंदरूनी खींचतान अब सरेआम बैठकों में भी दिखने लगी है, जो आगामी संगठनात्मक संरचना पर असर डाल सकती है।




