छत्तीसगढ़ में ‘चमचा भवन बनाम नमकहराम भवन’ विवाद से गरमाई सियासत

रायपुर – छत्तीसगढ़ की राजनीति में हमेशा सियासी कटाक्ष और तंज देखने को मिलते रहे हैं, लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है। पहली बार प्रदेश की राजनीति में खुद राजनीतिक दलों के दफ्तरों के नाम बदलने को लेकर विवाद गहराया है। भाजपा ने कांग्रेस मुख्यालय को “चमचा भवन” का तमगा दिया, तो कांग्रेस ने पलटवार करते हुए भाजपा कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर को “नमकहराम भवन” की संज्ञा दे डाली।
जाने कैसे शुरू हुआ विवाद?
3 सितंबर को कांग्रेस की एक बड़ी बैठक के बाद नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने संगठनात्मक चर्चा के दौरान कहा कि “हमारे चमचे कभी किसी को मुख्यमंत्री बना देते हैं, कभी किसी को प्रदेश अध्यक्ष। जिला अध्यक्षों को चमचों से सावधान रहना चाहिए।”महंत के इस बयान को भाजपा ने तुरंत भुना लिया और कांग्रेस भवन को “चमचा भवन” बताते हुए कार्टून पोस्टर जारी कर दिए। इसके बाद कांग्रेस ने भी पलटवार में भाजपा कार्यालय को “नमकहराम भवन” बताकर पोस्टर जारी कर दिया।
जुबानी जंग तेज
दीपक बैज, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष: भाजपा ने कांग्रेस भवन का नाम बदलकर मर्यादा तोड़ी है। जवाब में हमने भाजपा दफ्तर को नमकहराम भवन कहकर पोस्टर जारी किया है।”
अरुण साव, उपमुख्यमंत्री: “कांग्रेस पार्टी अब मर्यादा और संवाद की सारी सीमाएं तोड़ चुकी है। जनता कांग्रेस की इन नीच हरकतों को कभी माफ नहीं करेगी।”
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नाम बदलने की राजनीति छत्तीसगढ़ में नई नहीं है, लेकिन इस बार मामला सीधे राजनीतिक दलों के दफ्तरों तक पहुंच गया है। पहले सरकारी योजनाओं, सड़कों और भवनों के नाम बदलने पर सियासत होती थी, अब सत्ताधारी और विपक्षी दल एक-दूसरे के मुख्यालयों को नए नाम देकर पोस्टर वार कर रहे हैं।
आने वाले दिनों में “चमचा भवन बनाम नमकहराम भवन” विवाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में और गरमाएगा। हालांकि, लोकतंत्र में गिरते संवाद और राजनीतिक कटाक्षों की मर्यादा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जनता यही उम्मीद कर रही है कि दोनों ही दल परस्पर सम्मान और गरिमा के साथ अपनी बात रखें, क्योंकि यही स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है।




