शिक्षक करेंगे आवारा कुत्तों की निगरानी!शिक्षक संघ बोला – निर्देश अव्यावहारिक

रायपुर। स्कूलों में आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए प्राचार्यों को नोडल अधिकारी बनाने के सरकारी निर्देश पर अब शिक्षक संगठन ने आपत्ति जताई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लोक शिक्षण संचालनालय ने सभी स्कूलों में यह व्यवस्था लागू करने के निर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत स्कूल परिसर व आसपास घूमने वाले आवारा कुत्तों की सूचना अब स्कूल प्रशासन देगा।लेकिन इस व्यवस्था को शालेय शिक्षक संघ ने पूरी तरह अव्यावहारिक बताया है।

संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा कि शिक्षण प्रमुखों पर पहले से ही भारी जिम्मेदारियाँ हैं। उन्होंने कहा, शैक्षणिक नेतृत्व, विभिन्न गैर-सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन, प्रशासनिक कार्य और रिकॉर्ड मेंटेनेंस जैसी कई जिम्मेदारियाँ पहले से शिक्षकों पर लादी जा चुकी हैं। ऐसे में आवारा कुत्तों का प्रबंधन उनके दायित्वों में जोड़ना बिल्कुल व्यावहारिक नहीं है।
दुबे का कहना है कि शिक्षक स्कूलों में बच्चों की शैक्षणिक प्रगति सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त किए गए हैं, न कि आवारा पशुओं को पकड़वाने या उनकी निगरानी करने के लिए। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों को इस प्रकार के गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाना शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
उधर लोक शिक्षण संचालनालय ने स्पष्ट किया है कि यह सिस्टम बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए लागू किया गया है और डॉग कैचर टीम को भी सीधे नोडल अधिकारी से जोड़ा गया है, ताकि किसी भी सूचना पर तत्काल कार्रवाई हो सके। लेकिन शिक्षक संगठन का मानना है कि सरकार को सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए अलग मैकेनिज़्म विकसित करना चाहिए न कि शिक्षकों को अतिरिक्त जिम्मेदारियों के बोझ तले दबाना चाहिए।



