CGPSC भर्ती घोटाला: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 37 चयनित अभ्यर्थियों को मिलेगी नियुक्ति

रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) 2021-22 भर्ती घोटाले से जुड़ा मामला अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार की याचिका खारिज करते हुए उन 37 चयनित अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला सुनाया है, जिनके खिलाफ अब तक सीबीआई (CBI) ने कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की है।
कोर्ट ने कहा बिना चार्जशीट अभ्यर्थियों को नियुक्ति से वंचित रखना अनुचित है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डबल बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने पहले ही इन 37 अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला दिया था।
सिंगल बेंच ने कहा था कि जिन उम्मीदवारों पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है या जिनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है, उन्हें नियुक्ति दी जानी चाहिए। अब डबल बेंच ने भी वही रुख बरकरार रखते हुए सरकार की अपील को खारिज कर दिया।
पृष्ठभूमि: CBI जांच और विवादित चयन प्रक्रियायह मामला CGPSC द्वारा 2021-22 में आयोजित विभिन्न सरकारी पदों की भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा है। चयन प्रक्रिया के दौरान अनियमितताओं और फर्जीवाड़े के आरोप लगे, जिसके बाद राज्य सरकार ने जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपी थी। CBI ने कुछ अभ्यर्थियों पर संदेह जताया और कुछ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, लेकिन बाकी उम्मीदवारों की नियुक्ति रोक दी गई थी। लंबे समय से नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे 37 चयनित अभ्यर्थियों जिनमें अमित कुमार समेत अन्य उम्मीदवार शामिल हैं, इन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने तर्क दिया था कि बिना चार्जशीट के केवल जांच के आधार पर नियुक्ति रोकना अनुचित है।
डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि जब तक किसी अभ्यर्थी के खिलाफ आपराधिक चार्जशीट दाखिल नहीं होती, उसे नियुक्ति से वंचित रखना न्यायोचित नहीं है। अब राज्य सरकार को हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप सभी 37 चयनित उम्मीदवारों को जल्द नियुक्ति (ज्वाइनिंग) देने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। यह फैसला न केवल अभ्यर्थियों के लिए राहत भरा है, बल्कि न्यायिक निष्पक्षता और प्रशासनिक पारदर्शिता का उदाहरण भी माना जा रहा है।




