कवर्धा के वनांचल में शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल,हॉस्टल में पढ़ाई के बजाय सफाई करते मिले आदिवासी बच्चे

कवर्धा। जिले के वनांचल क्षेत्र से शिक्षा व्यवस्था की एक बेहद चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। बोड़ला विकासखंड स्थित प्री-मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास में पढ़ने वाले बच्चों से पढ़ाई के बजाय शौचालय और परिसर की सफाई करवाई जा रही है। किताबों की जगह बच्चों के हाथों में झाड़ू दिखाई देना, सरकारी दावों और जमीनी हकीकत के बीच बड़ा अंतर उजागर करता है।

परिजनों के अनुसार छात्रावास में साफ-सफाई की पूरी जिम्मेदारी बच्चों पर डाल दी गई है। सुबह-शाम बच्चे टॉयलेट साफ करते, परिसर में झाड़ू लगाते और पानी भरने जैसे कार्यों में जुटे नजर आते हैं। पढ़ाई, होमवर्क और शैक्षणिक गतिविधियां पूरी तरह हाशिए पर चली गई हैं। यह स्थिति न सिर्फ बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि उनके भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है।

सबसे गंभीर बात यह है कि छात्रावास के अधीक्षक अक्सर नदारद रहते हैं। जिम्मेदार अधिकारी के अभाव में छात्रावास मनमर्जी के भरोसे चल रहा है। न निगरानी, न अनुशासन और न ही बच्चों की शैक्षणिक प्रगति पर कोई ध्यान। सवाल उठता है कि जब अधीक्षक ही गायब रहते हैं, तो बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा की जिम्मेदारी कौन निभा रहा है?वनांचल क्षेत्रों में शिक्षा पहले ही कई चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे में आदिवासी बच्चों से मजदूरी जैसा व्यवहार करना, उन्हें पढ़ाई से दूर करना, संवैधानिक मूल्यों और आदिवासी कल्याण योजनाओं पर सीधा प्रहार है। सरकार द्वारा संचालित छात्रावासों का उद्देश्य बच्चों को बेहतर माहौल, शिक्षा और सुविधाएं देना है, न कि उन्हें सफाईकर्मी बना देना।
अब आवश्यकता है कि प्रशासन इस मामले में तत्काल संज्ञान ले, जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करे और छात्रावास की व्यवस्था को दुरुस्त करे। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वनांचल के ये बच्चे शिक्षा की दौड़ में और पीछे छूट जाएंगे और इसकी जिम्मेदारी सिस्टम की होगी, न कि उन मासूम बच्चों की।




