
रायपुर। राजधानी रायपुर की केंद्रीय जेल एक बार फिर अपराध और गैंगवार की वजह से सुर्खियों में है। जेल की ऊँची दीवारों और कड़ी सुरक्षा के दावों के बीच एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली और सुरक्षा इंतजामों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बहुचर्चित यश शर्मा हत्याकांड से जुड़े मुख्य गवाह कुशाल तोलानी पर जेल के भीतर चाकू से हमला किए जाने की घटना ने पूरे सिस्टम को झकझोर कर रख दिया है।
जानकारी के अनुसार, कुशाल तोलानी को एक अलग मामले में प्रतिबंधात्मक धाराओं के तहत सिर्फ एक दिन के लिए केंद्रीय जेल भेजा गया था। इसी दौरान उस पर हमला हुआ। आरोप है कि यश शर्मा हत्याकांड में शामिल आरोपियों ने साजिश के तहत जेल के भीतर हमला करवाया, ताकि गवाह को डराया जा सके और केस को कमजोर किया जा सके।
बताया जा रहा है कि हमला करने वाला कैदी एनडीपीएस एक्ट के तहत सजायाफ्ता है, जिसने कुशाल तोलानी पर धारदार हथियार से वार किया। घटना के बाद जेल परिसर में अफरा-तफरी मच गई और घायल गवाह को तत्काल इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। फिलहाल उसकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है।
इस घटना ने जेल सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर जेल के भीतर चाकू जैसे हथियार पहुँचे कैसे? क्या तलाशी व्यवस्था में लापरवाही बरती गई या फिर जेल के अंदरूनी नेटवर्क के जरिए यह सब संभव हुआ—इन सभी पहलुओं की जांच की जा रही है।
इस पूरे मामले की लिखित शिकायत कलेक्टर और एसएसपी को सौंपी गई है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि जेल के भीतर कुछ अपराधियों को विशेष सुविधाएं मिल रही हैं, जिससे उनके हौसले बुलंद हैं। साथ ही गवाहों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया गया है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि गवाहों की सुरक्षा न्याय प्रक्रिया की रीढ़ होती है। यदि गवाह ही सुरक्षित नहीं रहेंगे, तो निष्पक्ष न्याय पर सीधा असर पड़ेगा। यही वजह है कि इस घटना को बेहद गंभीर माना जा रहा है।प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, मामले को गंभीरता से लेते हुए आंतरिक जांच के निर्देश दिए गए हैं।
घटना के सामने आने के बाद संबंधित जेल अधिकारियों से जवाब तलब किया गया है और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की जा रही है। जरूरत पड़ने पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात भी कही जा रही है।लगातार सामने आ रही ऐसी घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि केंद्रीय जेल में अपराधियों के हौसले अब जेल की दीवारों तक सीमित नहीं रह गए हैं। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि प्रशासन इस चुनौती से कैसे निपटता है और भविष्य में गवाहों व कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।




