शिक्षकों की सेवा सुरक्षा पर बड़ा सुझाव : विभागीय TET कराकर हल निकाले सरकार – शालेय शिक्षक संघ

रायपुर – सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 सितम्बर को दिए गए फैसले के बाद प्रदेश के हज़ारों शिक्षकों में सेवा सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। इसी बीच शालेय शिक्षक संघ ने सरकार और शिक्षा विभाग के सामने ऐसा सुझाव रखा है, जिसे शिक्षकों, सरकार और विभाग—तीनों के लिए चिंता मुक्त करने वाला विकल्प बताया जा रहा है।
विभागीय TET का प्रस्ताव
शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र दुबे ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार कार्यरत शिक्षकों के लिए TET पास करना अनिवार्य है, तो सरकार को चाहिए कि कार्यरत शिक्षकों के लिए विभागीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) आयोजित करे। उन्होंने मांग की कि इस विषय पर सरकार बिना देर किए निर्णय का विश्लेषण करे, सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करे और यह सुनिश्चित करे कि किसी भी शिक्षक की सेवा पर प्रतिकूल असर न पड़े।
“दो वर्षों में छह बार हो परीक्षा”
संघ के प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा ने सुझाव दिया कि यदि दो वर्ष में TET पास करना अनिवार्य है तो सरकार इन दो वर्षों में कम से कम छह बार विभागीय TET आयोजित करे, ताकि सभी कार्यरत शिक्षक परीक्षा पास कर सकें और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन भी हो जाए।
SCERT को मिली जिम्मेदारी का सुझाव: संघ ने SCERT को शिक्षक पात्रता परीक्षा का पाठ्यक्रम विभागीय शिक्षकों के अनुरूप तैयार करने की बात कही है। संगठन का कहना है कि पाठ्यक्रम आधारित ऑनलाइन मॉड्यूल से शिक्षकों को तैयारी का मौका दिया जाए और संगठन भी इसमें पूरा सहयोग करेगा।
अफवाहों से बचने की अपील: संघ के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष चन्द्रशेखर तिवारी और मीडिया प्रभारी जितेन्द्र शर्मा ने शिक्षकों से अपील की है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर अफवाहों से बचें और परिपक्वता से काम लें। साथ ही मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से त्वरित संज्ञान लेकर अधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश देने की मांग की है।
शिक्षकों की उम्मीदें: संघ ने कहा है कि विभागीय TET के माध्यम से न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अक्षरशः पालन होगा बल्कि हज़ारों शिक्षकों की सेवा सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। प्रदेश भर के शिक्षकों और शिक्षाविदों ने संघ के इस सुझाव की सराहना करते हुए इसे उत्कृष्ट और समयानुकूल बताया है। संघ के दर्जनों प्रांतीय पदाधिकारियों ने भी एक स्वर में सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि प्रदेश के शिक्षकों में व्याप्त अनिश्चितता और चिंता का अंत हो सके।


