
रायपुर — राजधानी रायपुर के जंगल सफारी की बाघिन ‘बिजली’ की मौत के बाद राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में बवाल मच गया है। बाघिन की मौत को लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार और वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राज्यपाल को पत्र लिखकर इस घटना की निष्पक्ष जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
डॉ. महंत ने अपने पत्र में कहा है अगर समय पर बाघिन को उचित इलाज मिलता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन, जंगल सफारी डायरेक्टर और ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए तत्काल निलंबन और कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक जानवर की मौत नहीं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण व्यवस्था की पोल खोलने वाला मामला है।
महंत ने इस पूरे प्रकरण में वन विभाग की कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं। उनके मुताबिक, विभाग में 20 में से 18 डॉक्टरों के पद खाली हैं, जिससे जानवरों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा जब राजधानी में सफारी में ही ऐसी स्थिति है, तो प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में क्या हाल होगा, यह सहज समझा जा सकता है।
वहीं, वन विभाग ने अपनी सफाई में कहा है कि बाघिन ‘बिजली’ को बेहतर इलाज के लिए गुजरात के वंतारा सेंटर भेजा गया था, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। विभाग का दावा है कि इलाज में कोई कमी नहीं छोड़ी गई थी, लेकिन हालत गंभीर होने के कारण जान नहीं बचाई जा सकी।
इस घटना के बाद विपक्ष हमलावर है और सरकार पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ रहा है। जंगल सफारी में जानवरों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।





