छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा – सहमति से बने संबंध को रेप नहीं कहा जा सकता

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि बालिग महिला के साथ सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने इस आधार पर CAF जवान रुपेश कुमार पुरी को बरी कर दिया।
मामला बस्तर जिले का है, जहां पीड़िता और आरोपी के बीच लगातार सात साल तक प्रेम संबंध रहे। पीड़िता उस समय बालिग थी और दोनों के बीच आपसी सहमति से संबंध बने थे। फास्ट ट्रैक कोर्ट, जगदलपुर ने आरोपी को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने सजा को रद्द करते हुए कहा “जब महिला बालिग हो और संबंध आपसी सहमति से बने हों, तो इसे जबरन शारीरिक शोषण नहीं कहा जा सकता।”कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि शुरू से ही आरोपी का विवाह करने का इरादा न हो और झूठे वादे से संबंध बनाए जाएं, तो मामला अलग होगा। लेकिन इस केस में ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला।




