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फिल्म इंडस्ट्री Vs सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स

मुंबई, 02 सितंबर- फिल्म रिलीज़ होते ही इंटरनेट पर रिव्यू की बाढ़ आना आम बात है। इनमें से कई लोग ईमानदारी से फिल्म की अच्छाई-बुराई बताते हैं, लेकिन कुछ इन्फ्लुएंसर्स ऐसे भी होते हैं जो प्रोड्यूसर्स को टारगेट कर नेगेटिव रिव्यू देकर उनकी फिल्मों का बिज़नेस प्रभावित करते हैं।
इसी गंभीर मुद्दे पर अब Indian Film and Television Producers Council (IFTPC) ने मोर्चा खोल दिया है। IFTPC ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर साफ कहा है कि कई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स नेगेटिव रिव्यू की धमकी देकर वसूली कर रहे हैं। वे प्रोड्यूसर्स से पैसे मांगते हैं और मांग पूरी न होने पर फिल्म या वेब सीरीज़ के खिलाफ नेगेटिव कैंपेन चलाते हैं। इस तरह की हरकतें इंडस्ट्री की रचनात्मकता और अर्थव्यवस्था पर सीधा असर डाल रही हैं।

IFTPC क्या है?

IFTPC देशभर के 375 से अधिक टीवी और फिल्म प्रोड्यूसर्स का संगठन है। यह फिल्म और टीवी प्रोडक्शन से जुड़े नियम-कायदों और चुनौतियों पर चर्चा करने का यह सबसे बड़ा मंच है। इंडस्ट्री की नीतियों और सुधारों में इसकी अहम भूमिका होती है।

IFTPC का स्टैंड: काउंसिल ने साफ किया कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं है।
कंस्ट्रक्टिव क्रिटिसिज्म का हमेशा स्वागत किया जाएगा। लेकिन रिव्यू के नाम पर जबरन पैसे वसूलना अब क्राइम और ब्लैकमेलिंग की श्रेणी में आता है।

इंडस्ट्री पर असर

  • झूठे और अपमानजनक रिव्यू से प्रोजेक्ट की पब्लिक रिसेप्शन प्रभावित होती है।
  • फिल्मों और वेब सीरीज़ के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर सीधा असर पड़ता है।
  • इससे फिल्मकारों का निवेश और इंडस्ट्री की अर्थव्यवस्था खतरे में पड़ रही है।

आगे क्या?

IFTPC ने यह भी संकेत दिया है कि अगर ऐसे फर्जी रिव्यू ट्रेंड पर रोक नहीं लगी, तो काउंसिल कानूनी कदम उठाने पर भी विचार करेगी।

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CG Bulletin Desk1

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