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छत्तीसगढ़ का पहला फ्लोटिंग सौर संयंत्र शुरू, हर साल 34.25 मिलियन यूनिट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन

भिलाई – छत्तीसगढ़ ने स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की दिशा में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भिलाई के मरोदा-1 जलाशय में प्रदेश के पहले फ्लोटिंग सौर विद्युत संयंत्र में उत्पादन शुरू हो चुका है। यह परियोजना राज्य की ग्रीन एनर्जी मिशन की ओर बढ़ाया गया एक ऐतिहासिक कदम है। यह संयंत्र 15 मेगावाट क्षमता का है और इसे लगभग 111.35 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। खास बात यह है कि यह परियोजना 80 एकड़ जल क्षेत्र में स्थापित की गई है, जो ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ जल संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन को भी मजबूत करेगी।

प्रतिवर्ष स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन

इस फ्लोटिंग सौर संयंत्र से हर साल लगभग 34.25 मिलियन यूनिट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन होगा। इससे न केवल प्रदेश की बिजली की जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि आने वाले समय में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता बढ़ेगी।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह संयंत्र 28,400 टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में कमी लाएगा और सालाना 0.23 लाख टन कोयले की बचत सुनिश्चित करेगा। यह उपलब्धि प्रदेश को न केवल पर्यावरण के क्षेत्र में नई पहचान देगी बल्कि देशभर में ग्रीन एनर्जी मॉडल के रूप में भी स्थापित करेगी।

ग्रीन एनर्जी की दिशा में बड़ी उपलब्धि

राज्य सरकार लंबे समय से नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बायो-एनर्जी जैसे वैकल्पिक स्रोतों को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं।फ्लोटिंग सौर संयंत्र से यह साबित होता है कि छत्तीसगढ़ अब सतत ऊर्जा उत्पादन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह प्रोजेक्ट आने वाले समय में अन्य जिलों के लिए भी एक आदर्श उदाहरण साबित हो सकता है।

फ्लोटिंग सौर संयंत्र के जरिए छत्तीसगढ़ ने यह संदेश दिया है कि अब समय केवल ऊर्जा उत्पादन का नहीं बल्कि स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा की ओर बढ़ने का है। इस परियोजना से ऊर्जा क्षेत्र में नई संभावनाएँ खुलेंगी और आने वाले वर्षों में राज्य को ग्रीन एनर्जी हब के रूप में पहचान दिलाएंगी।

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CG Bulletin Desk1

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