नवंबर में खुल सकता है महतारी वंदन योजना का पोर्टल! विपक्ष ने बताया नाम काटने की कवायद

रायपुर – देशभर में शक्ति आराधना का पर्व नवरात्रि धूमधाम से मनाया जा रहा है। मां दुर्गा की उपासना के बीच छत्तीसगढ़ में महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण को लेकर शुरू हुई महतारी वंदन योजना एक बार फिर सियासत के केंद्र में है। राज्य सरकार ने संकेत दिए हैं कि राज्योत्सव के समय योजना का पोर्टल जल्द फिर से खोला जाएगा, जिससे उन महिलाओं को भी अवसर मिल सकेगा जो किसी कारणवश पंजीयन से वंचित रह गई थीं।
योजना की अहमियत और अब तक का सफर
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार और भाजपा की वापसी के पीछे महतारी वंदन योजना बड़ा फैक्टर मानी गई थी। भाजपा सरकार ने मार्च 2024 से सितंबर 2025 तक प्रदेश की करीब 70 लाख महिलाओं को 19 किश्तों में साढ़े 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान किया है। बीते दिनों बस्तर के बीहड़ और सुदूर अंचलों की महिलाओं के लिए पोर्टल दोबारा खोलने का ऐलान किया गया। इसके बाद प्रदेशभर में यह मांग उठने लगी कि जिन हितग्राहियों का पंजीयन किसी वजह से छूट गया है, उन्हें एक और मौका मिलना चाहिए। महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि सरकार इस दिशा में गंभीर है और राज्योत्सव के अवसर पर पोर्टल खोला जा सकता है।
लक्ष्मी राजवाड़े, महिला एवं बाल विकास मंत्री
“प्रदेश की माताओं-बहनों को योजना का पूरा लाभ मिले, इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। पोर्टल को फिर से शुरू करने पर जल्द फैसला लिया जाएगा।
हालांकि जैसे ही मंत्री का बयान आया, कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोल दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा सरकार बहनों को गुमराह कर रही है।
दीपक बैज,अध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस कमेटी
पोर्टल नाम जोड़ने के लिए नहीं बल्कि नाम काटने के लिए खोला जा रहा है। सरकार ने महिलाओं से झूठे वादे कर सत्ता हासिल की है। छत्तीसगढ़ 2 साल में बदहाल हो गया है और अब बहनों को गुमराह करने का नया तरीका ढूंढा जा रहा।
योजना पर क्यों मची सियासत?
महतारी वंदन योजना छत्तीसगढ़ की अब तक की सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा हितग्राहियों वाली योजना है। यही वजह है कि इसके हर फैसले पर राजनीतिक बयानबाजी होती रही है। नवरात्रि के मौके पर पोर्टल दोबारा खुलने के संकेत मिलते ही भाजपा और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। अब देखना होगा कि जब पोर्टल खुलेगा तो राजनीतिक पारा कितना चढ़ेगा और इसका असर आगामी चुनावी समीकरणों पर कैसा होगा।



