
रायपुर। पुलिस की गिरफ्त में आए कुख्यात सूदखोर वीरेंद्र तोमर से पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है। फरारी के दौरान उसे करणी सेना से जुड़े कुछ लोगों ने मदद की थी। तोमर पिछले 5 महीनों तक चार राज्यों में छिपा रहा और अंततः ग्वालियर में पकड़ा गया।
वीरेंद्र तोमर फरारी के दौरान छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के अलग-अलग शहरों में छिपता रहा। पुलिस के दबाव से बचने के लिए वह लगातार ठिकाने बदलता रहा और अलग-अलग फर्जी सिम कार्ड से परिवार से संपर्क करता रहा। पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि तोमर ग्वालियर में करणी सेना से जुड़े एक स्थानीय नेता के फ्लैट में रह रहा था। इसी फ्लैट से उसे गिरफ्तार किया गया। पुलिस अब उस व्यक्ति की भूमिका की जांच कर रही है, जिसने उसे पनाह दी थी।
वीरेंद्र तोमर ने पूछताछ में बताया की उसने शुरुआत अंडा बेचने के काम से की थी। धीरे-धीरे उसने सूदखोरी का धंधा शुरू किया और कई व्यवसायियों व आम लोगों को ऊंचे ब्याज पर पैसे देने लगा। इसी सूदखोरी से उसने करोड़ों रुपये का साम्राज्य खड़ा कर लिया।
पुलिस के अनुसार फरारी के दौरान तोमर ने कई मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया और अपने परिवार व सहयोगियों से संपर्क में रहा। अब पुलिस तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर उसकी कॉल डिटेल और नेटवर्क कनेक्शन की जांच कर रही है।
रायपुर पुलिस अब तोमर के भाई रोहित तोमर की तलाश में भी सक्रिय हो गई है, जो फरारी के दौरान उसके साथ होने की आशंका जताई जा रही है। इसके अलावा फरारी में मदद करने वाले सहयोगियों और संपर्कों पर भी जांच जारी है।




