“बस्तर पंडुम 2026”: 10 जनवरी से 6 फरवरी तक चलेगा लोक-संस्कृति का उत्सव

बस्तर की लोक-संस्कृति, परंपरा और विरासत का भव्य महोत्सव
रायपुर। सीएम विष्णु देव साय के दिशा-निर्देश पर छत्तीसगढ़ के जनजातीय बहुल बस्तर संभाग की लोक-संस्कृति, परंपरा और विरासत को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के उद्देश्य से “बस्तर पंडुम 2026” के आयोजन की तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं। छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग द्वारा वर्ष 2026 में इस महोत्सव का आयोजन जनपद, जिला एवं संभाग स्तर पर प्रतियोगात्मक स्वरूप में किया जाएगा।
यह आयोजन बस्तर अंचल की लोककला, शिल्प, नृत्य, गीत-संगीत, पारंपरिक व्यंजन, बोली-भाषा, वेश-भूषा, आभूषण, वाद्य यंत्र, नाट्य एवं जनजातीय जीवन-पद्धति के संरक्षण और संवर्धन का एक भव्य मंच बनेगा।सात जिलों में व्यापक सहभागिता के साथ आयोजनराज्य शासन ने बस्तर संभाग के सभी सात जिलों—बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, कांकेर, कोंडागांव और नारायणपुर में इस उत्सव को व्यापक जनभागीदारी के साथ आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। इसके अंतर्गत संभाग की 1885 ग्राम पंचायतों से जुड़े 32 जनपद मुख्यालयों में 12 विधाओं पर आधारित प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।
ग्राम पंचायत स्तर से चयनित लोक कलाकारों एवं कला दलों को निःशुल्क ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से जनपद स्तरीय प्रतियोगिताओं में आमंत्रित किया जाएगा।
तीन चरणों में होगा आयोजन
पहला चरण – जनपद स्तरीय प्रतियोगिताजनपद स्तर की प्रतियोगिताएं 10 से 20 जनवरी 2026 के बीच आयोजित होंगी। प्रत्येक विधा से चयनित विजेता दल को ₹10,000 की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। जनपद स्तर के आयोजन हेतु प्रत्येक जनपद पंचायत को ₹5 लाख का बजट आबंटित किया गया है।
दूसरा चरण – जिला स्तरीय प्रतियोगिताजिला स्तरीय प्रतियोगिताएं 24 से 29 जनवरी 2026 तक होंगी। जिला स्तर पर प्रत्येक विधा के विजेता दल को ₹20,000 की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए प्रत्येक जिले को ₹10 लाख की राशि उपलब्ध कराई गई है।
तीसरा चरण – संभाग स्तरीय महोत्सव अंतिम और सबसे भव्य चरण के रूप में संभाग स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन 2 से 6 फरवरी 2026 तक जगदलपुर (जिला बस्तर) में किया जाएगा। इसमें सातों जिलों से चयनित 84 विजेता दल भाग लेंगे।
संभाग स्तर पर प्रथम पुरस्कार: ₹50,000, द्वितीय पुरस्कार: ₹30,000, तृतीय पुरस्कार: ₹20,000 अन्य 48 दलों को: ₹10,000 की प्रोत्साहन राशि
मूल निवासी कलाकारों को मिलेगा मंच
महोत्सव की विशेषता यह होगी कि इसमें केवल वही कलाकार भाग ले सकेंगे, जो बस्तर संभाग के वास्तविक मूल निवासी हों और जनजातीय लोक-कला विधाओं में सक्रिय भूमिका निभा रहे हों। वरिष्ठ कलाकारों के साथ-साथ नवोदित प्रतिभाओं को भी अपनी कला प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया जाएगा




