
रायपुर/अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों मुख्यमंत्री पद को लेकर बयानबाज़ी तेज हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने हाल ही में कहा “अगर मौका मिले तो कौन मुख्यमंत्री बनना नहीं चाहेगा।”सिंहदेव के इस बयान के बाद बीजेपी ने तुरंत मोर्चा खोल दिया और सियासत गरमा गई।
बीजेपी के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने तीखा हमला बोलते हुए कहा
अगर सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनने की इतनी हसरत है, तो एक दिन के लिए उन्हें सीएम साय की कुर्सी पर बैठाकर सम्मानित कर देंगे। हसरत लेकर ऊपर नहीं जाना चाहिए, यहीं पूरी कर लेनी चाहिए।”उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सिंहदेव खुद कहते थे उन्हें धोखा दिया गया और फिफ्टी-फिफ्टी का समझौता हुआ था। अगर अपनी राजशाही का थोड़ा हिस्सा बेच देते तो शायद मुख्यमंत्री बन जाते।इतना ही नहीं, उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा भूपेश बघेल के खास विधायक तक कहते थे कि बाबा साहब से जान का खतरा है, यही हालत पूरी कांग्रेस की थी।
इस मसले पर डिप्टी सीएम अरुण साव का बयान आया उन्होंने कहा
जब मौका था तब मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। अब कांग्रेस की हालत देखकर साफ है कि यह इच्छा कभी पूरी नहीं होगी। प्रदेश में कांग्रेस की वापसी की कोई गुंजाइश नहीं है।
अजय चंद्राकर के बयान पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा
अजय चंद्राकर की बात अलोकतांत्रिक है। जाते-जाते एक दिन के लिए बना देना का मतलब क्या है क्या विष्णुदेव को जब उठा और बैठा सकते हो?इसका मतलब ये संविधान को नहीं मानते।
उधर, अजय चंद्राकर के बयान पर टीएस सिंहदेव ने भी फिल्मी अंदाज में पलटवार किया उन्होंने कहा
मैं नायक फिल्म का अनिल कपूर बनने तैयार हूं। विष्णुदेव साय का इस्तीफा लेकर मुझे सीएम बना दीजिए। मैं खुद अजय चंद्राकर जी से मिलने आ रहा हूं।”उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि अजय चंद्राकर खुद मंत्री नहीं बन सके लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। सिंहदेव ने कहा, “मुझे ऊपर भेज रहे हैं, उस भावना के लिए भी धन्यवाद। यह पूरा बयान हंसी-ठिठोली वाला है।”
सिंहदेव की “हसरत” और चंद्राकर के “तंज” ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। ‘1 दिन का CM’ वाला तंज अब सियासी चर्चाओं के केंद्र में है। टीएस सिंहदेव ने भले ही इसे हंसी-ठिठोली में कहा गया बयान बताया हो, मगर राजनीतिक हलकों में इस पर गंभीर चर्चा शुरू हो गई है। यह बयान साफ़ दिखाता है कि छत्तीसगढ़ में सीएम कुर्सी की राजनीति वक्त-बेवक्त कैसे सियासी बहस को हवा दे देती है, चाहे चुनावी माहौल हो या न हो।




