
दिल्ली – केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में ‘भारत मंथन-2025: नक्सल मुक्त भारत’ कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के संदर्भ में नक्सलियों को दो टूक संदेश दिया। उन्होंने कहा, “नक्सलियों के लिए केवल एक रास्ता है—हथियार डालकर सरेंडर करें, पुलिस एक गोली नहीं चलाएगी। लेकिन अगर हमला करेंगे, तो आत्मरक्षा में कोई छूट नहीं दी जाएगी।” यह बयान हाल ही में नक्सलियों द्वारा भेजे गए सीजफायर प्रस्ताव के जवाब में आया, जिसे शाह ने सिरे से खारिज कर दिया।
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार
शाह ने छत्तीसगढ़ को 31 मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त बनाने का संकल्प दोहराया। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और छत्तीसगढ़ पुलिस की तारीफ की, जिसे हाल ही में राष्ट्रपति कलर पुरस्कार मिला। उन्होंने ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ का उल्लेख करते हुए बताया कि बीजेपी सरकार की सरेंडर नीति के तहत छत्तीसगढ़ सहित 10,500 नक्सलियों ने हथियार डालकर मुख्यधारा को अपनाया है।
बुद्धिजीवियों पर तंज नक्सल समर्थन की आलोचना
शाह ने नक्सलियों के पक्ष में लिखने वाले बुद्धिजीवियों और एनजीओ पर निशाना साधा। उन्होंने सवाल किया, “ये बुद्धिजीवी नक्सलियों के मानवाधिकारों की बात करते हैं, लेकिन नक्सलियों द्वारा मारे गए आदिवासियों और नागरिकों के अधिकारों पर चुप क्यों रहते हैं?” उन्होंने इसे नक्सलवाद की हिंसक विचारधारा को बढ़ावा देने का प्रयास बताया और समाज से ऐसी मानसिकता को उखाड़ने की बात कही।
विकास और सुरक्षा का संयोजन
शाह ने जोर दिया कि नक्सलवाद को केवल सुरक्षा बलों से नहीं, बल्कि विकास और जागरूकता से खत्म किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 2014 से 2025 तक छत्तीसगढ़ के बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 12,000 किलोमीटर सड़कें, स्कूल, अस्पताल और मोबाइल टावर जैसी सुविधाएं पहुंचाई गईं। “विकसित छत्तीसगढ़, विकसित बस्तर” के नारे के साथ उन्होंने विकास को नक्सलवाद के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बताया। शाह का यह बयान छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकार की सख्त नीति को दर्शाता है, जिसमें हथियार डालने की अपील के साथ-साथ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।




