इंद्रावती रिजर्व में CRPF का बेस कैंप, नक्सलियों के सफाए की दिशा में बड़ा कदम

बीजापुर। नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षा और विकास की राह आसान करने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के दो नये शिविर स्थापित किए गए हैं। इनमें से एक शिविर इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के अंदर स्थापित हुआ है, जिसे नक्सलियों के खिलाफ अभियान में रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार का स्पष्ट रुख है कि सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक प्रदेश को नक्सलमुक्त करना है, और ये नए बेस कैंप उसी दिशा में बड़ा कदम हैं।
अब तक 36 सुरक्षा शिविर
बीजापुर के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि जनवरी 2024 से अब तक जिले में 36 सुरक्षा शिविर स्थापित किए जा चुके हैं। इस दौरान सुरक्षा बलों ने 193 माओवादियों को ढेर किया, 496 ने आत्मसमर्पण किया और 900 से अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया।
उल्लूर और चिल्लामरका में नई तैनाती
अधिकारी ने बताया कि जिला पुलिस और CRPF ने नौ सितंबर को उल्लूर गांव में और 11 सितंबर को चिल्लामरका गांव में नए शिविर स्थापित किए हैं। उल्लूर में बना शिविर CRPF की 62वीं बटालियन का अग्रिम परिचालन बेस होगा, जबकि चिल्लामरका शिविर 22वीं बटालियन का है। ये दोनों शिविर बीजापुर के भोपालपटनम थाना क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
कठिन परिस्थितियों में सुरक्षा बलों की कामयाबी
बीजापुर का इलाका घने जंगलों, ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों और बारिश के कारण दलदली जमीन के लिए जाना जाता है। इसके बावजूद सुरक्षा बलों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए इन दोनों शिविरों की स्थापना की। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम न केवल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों तक विकास कार्यों को भी रफ्तार मिलेगी।
नक्सली गतिविधियों पर कसा जाएगा शिकंजा
इन शिविरों से भोपालपटनम से फरसेगढ़, सांद्रा (बीजापुर) और पड़ोसी महाराष्ट्र के गढ़चिरौली तक बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी। इससे नक्सलियों की अंतर-राज्यीय गतिविधियों पर रोक लगेगी और सुरक्षा बलों को नए ऑपरेशनों के लिए मजबूत आधार मिलेगा।
‘नियाद नेला नार’ योजना का हिस्सा
छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी ‘नियाद नेला नार’ योजना के तहत इन शिविरों की स्थापना की जा रही है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को न सिर्फ सुरक्षा देना है बल्कि उन्हें बुनियादी सुविधाओं से जोड़कर नक्सलियों के प्रभाव से दूर करना भी है। इन शिविरों से ग्रामीणों तक स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, बिजली, पेयजल, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), मोबाइल नेटवर्क, सड़क और पुलों जैसी सुविधाएं भी पहुंचाई जाएंगी। अधिकारी मानते हैं कि सुरक्षा और विकास साथ-साथ चलेंगे तो ग्रामीणों का भरोसा और समर्थन दोनों मिलेगा।



