
नई दिल्ली/बिलासपुर – छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में हवाई सेवाओं के विस्तार को लेकर लंबे समय से चली आ रही मांग को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री तोखन साहू ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस दौरान साहू ने बिलासपुर हवाई अड्डे के विस्तार के लिए रक्षा मंत्रालय के पास उपलब्ध 1012 एकड़ भूमि में से 290 एकड़ राज्य सरकार को हस्तांतरित करने की मांग दोहराई।
भूमि विवाद बना बड़ी बाधा
बिलासपुर हवाई अड्डे के विस्तार में सबसे बड़ी अड़चन भूमि की है। हवाई अड्डे के आसपास की 1012 एकड़ जमीन रक्षा मंत्रालय ने पहले आर्मी ट्रेनिंग सेंटर के लिए अधिग्रहित की थी, लेकिन अब यह ट्रेनिंग सेंटर रायपुर स्थानांतरित हो चुका है। परिणामस्वरूप यह जमीन वर्षों से अनुपयोगी पड़ी है। रनवे विस्तार और नई सुविधाओं के लिए केवल 290 एकड़ जमीन की जरूरत है, लेकिन मुआवज़े को लेकर राज्य सरकार और सेना के बीच मतभेद अब तक दूर नहीं हो पाए हैं।
बिलासपुर का बढ़ता महत्व
तोखन साहू ने रक्षा मंत्री को अवगत कराया कि बिलासपुर छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा शहर और प्रमुख औद्योगिक केंद्र है। यहाँ उच्च न्यायालय के साथ-साथ एसईसीएल, एनटीपीसी और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जैसे कई केंद्रीय उपक्रमों के मुख्यालय स्थित हैं।शहर में कई शैक्षणिक संस्थान भी हैं, जिससे यहाँ यात्रियों और व्यवसायिक गतिविधियों का दबाव लगातार बढ़ रहा है। बावजूद इसके, मौजूदा हवाई सेवाएँ शहर की जरूरतों के अनुरूप नहीं हैं।
संयुक्त बैठक बुलाने का आग्रह
केंद्रीय मंत्री साहू ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से आग्रह किया कि इस मसले को सुलझाने के लिए रक्षा मंत्रालय और राज्य सरकार के अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक बुलाई जाए। उनका कहना है कि संवाद और सहयोग से कोई ठोस रास्ता निकलेगा।उन्होंने भरोसा जताया कि भूमि विवाद सुलझने के बाद बिलासपुर हवाई अड्डे का विस्तार तेजी से हो सकेगा। यह कदम न केवल क्षेत्रीय परिवहन सुविधाओं में सुधार लाएगा, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए भी अहम साबित होगा।




