छत्तीसगढ़ बना मिलेट्स उत्पादन का हब,युवाओं के बीच बढ़ा हेल्दी लाइफस्टाइल का क्रेज

रायपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा जिले अब मिलेट्स (श्रीअन्न) उत्पादन के बड़े केंद्र बनते जा रहे हैं। यहां की जलवायु और मिट्टी कोदो, कुटकी, रागी और ज्वार जैसी फसलों के लिए बेहद अनुकूल है। राज्य सरकार की योजनाओं और किसानों के प्रयासों से इन इलाकों में मिलेट्स की पैदावार में तेजी से वृद्धि हुई है।
बस्तर और सरगुजा में बढ़ा उत्पादन
कृषि विभाग के अनुसार बस्तर संभाग में कोदो और कुटकी की खेती लगभग हर गांव में की जाती है। यह पारंपरिक फसल अब बाजार में ज्यादा दाम पर बिक रही है।सरगुजा के मैनपाट और आसपास के इलाकों में रागी और ज्वार की पैदावार अच्छी मात्रा में हो रही है। यहां के किसान अब आधुनिक तकनीक से मिलेट्स की खेती कर रहे हैं।
मिलेट्स से बने प्रोडक्ट्स की डिमांड
बस्तर और सरगुजा से उगाए गए मिलेट्स सिर्फ स्थानीय बाजार तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर तक इनकी सप्लाई हो रही है। यहां से तैयार हो रहे प्रोडक्ट्स जैसे –मिलेट्स बिस्किटरेडी-टू-कुक पास्ताहेल्दी स्नैक्स और एनर्जी बारशहरों के युवाओं और फिटनेस लवर्स के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
किसानों के लिए नई संभावनाएँ
राज्य सरकार ने मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएँ शुरू की हैं। किसानों को बीज, प्रशिक्षण और मार्केटिंग की सुविधा दी जा रही है। भारत सरकार ने भी 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया था, जिसके बाद से मिलेट्स की डिमांड और बढ़ गई है।
सेहत और लाइफस्टाइल में मिलेट्स का योगदान
विशेषज्ञों का मानना है कि मिलेट्स खाने से –डायबिटीज और मोटापा कंट्रोल होता है।यह ग्लूटेन-फ्री होते हैं, जो पाचन के लिए बेहतर हैं। इनमें भरपूर फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम और मिनरल्स होते हैं।इसी वजह से इन्हें अब “सुपरफूड” कहा जाने लगा है।किसानों और युवाओं दोनों को फायदाएक तरफ किसान मिलेट्स की खेती से अच्छी आमदनी कमा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर युवा पीढ़ी इसे अपनी हेल्दी लाइफस्टाइल में शामिल कर रही है।




