छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दिव्यागों के 1000 करोड़ के घोटाले की जांच CBI को सौंपी,11 अफसरों पर आरोप

बिलासपुर – छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान (SRC) के नाम पर हुए कथित 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच CBI को सौंप दी है। जस्टिस पीपी साहू और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने आदेश दिया कि CBI 15 दिनों के भीतर विभागीय दस्तावेज जब्त कर जांच शुरू करे। कोर्ट ने कहा कि मामले में उच्च पदस्थ अधिकारियों पर गंभीर आरोप हैं, इसलिए केवल CBI ही निष्पक्ष जांच कर सकती है।

11 अफसरों पर आरोप, 6 IAS शामिल

घोटाले में जिन अफसरों के नाम आए हैं, उनमें 6 IAS और 5 राज्य सेवा अधिकारी शामिल हैं। आरोप है कि इन अधिकारियों ने फर्जी संस्था और फर्जी कर्मचारियों के नाम पर सरकारी फंड siphon किया।

  • आरोपी IAS अधिकारी
  • आलोक शुक्ला
  • विवेक ढांड
  • एम.के. राउत
  • सुनील कुजूर
  • बी.एल. अग्रवाल
  • पी.पी. सोती

राज्य सेवा अधिकारी

  • सतीश पांडेय
  • राजेश तिवारी
  • अशोक तिवारी
  • हरमन खलखो
  • एम.एल. पांडेय
  • पंकज वर्मा

सुप्रीम कोर्ट से लौटा मामला

इस मामले में पहले CBI ने FIR दर्ज की थी, लेकिन आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जांच पर रोक लगवाई। सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण हाईकोर्ट को भेज दिया। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान तत्कालीन मुख्य सचिव अजय सिंह ने शपथ-पत्र में 150-200 करोड़ की ‘गलतियां’ स्वीकार कीं, लेकिन बेंच ने इसे “सुनियोजित घोटाला” बताया।

RTI से खुला राज

2017 में रायपुर के कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने RTI दाखिल की, जिससे यह फर्जीवाड़ा सामने आया। RTI से पता चला कि SRC नामक संस्थान कागजों पर मौजूद है, असल में उसका कोई अस्तित्व नहीं था। 2004 में पंजीकृत NGO ने खुद को सरकारी अस्पताल बताकर फर्जी नियुक्तियां और खर्च दिखाए।फर्जी बैंक खातों (BOI व SBI मोतीबाग) से रुपये निकाले गए। मशीनें खरीदी गईं, मेंटेनेंस खर्च दिखाया गया, लेकिन कोई ऑडिट नहीं हुआ। फर्जी कर्मचारियों को कैश पेमेंट दिखाकर फंड siphon किया गया।

याचिकाकर्ता को धमकी : RTI दायर करने वाले कुंदन सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि उन्हें इस खुलासे के बाद जान से मारने की धमकी तक मिली थी।

कोर्ट का रुख: हाईकोर्ट ने कहा, “यह सिर्फ त्रुटियां नहीं बल्कि सुनियोजित अपराध है। चूंकि इसमें वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं, इसलिए स्थानीय एजेंसियों या पुलिस से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती।

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CG Bulletin Desk1

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