जब फूल रथ खींचने में हुई घंटों की देरी, जानें बस्तर दशहरे को लेकर क्यों हुआ विवाद

जगदलपुर – बस्तर दशहरा महोत्सव में बुधवार की रात रथ परिक्रमा को लेकर प्रशासन और ग्रामीणों के बीच खींचतान देखने को मिली। ग्रामीणों ने शर्त रखी कि जब तक राज परिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव और उनकी पत्नी मां दंतेश्वरी के छत्र के साथ रथ पर नहीं बैठेंगे, वे रथ नहीं खींचेंगे। ग्रामीणों की यह मांग लगभग 60 साल पुरानी परंपरा को फिर से शुरू करने की थी।

परंपरा के मुद्दे पर हुई इस तनातनी के चलते नवरात्र के तीसरे दिन होने वाली फूल रथ परिक्रमा में घंटों की देरी हुई। देर रात तक गतिरोध बना रहा और ग्रामीणों ने रथ खींचने से साफ इनकार कर दिया। हालांकि, राज परिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने स्वयं ग्रामीणों को समझाया और कहा कि “माई जी के सम्मान में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। परिक्रमा जरूर होनी चाहिए।” इसके बाद रात 11 बजे के बाद रथ खींचा गया।
तहसीलदार ने बताया शासन स्तर का मामला
इस विवाद पर जगदलपुर तहसीलदार ने स्पष्ट किया कि यह मामला शासन स्तर का है और अंतिम निर्णय वहीं से लिया जाएगा। ग्रामीणों ने भी चेतावनी दी है कि अगर आने वाले दिनों में राज परिवार के सदस्य रथ पर नहीं बैठते, तो वे रथ नहीं खींचेंगे।
परंपरा का इतिहास
बस्तर दशहरा के दौरान होने वाली इस रथ परिक्रमा में कभी राजपरिवार की अहम भूमिका होती थी। करीब 60 साल पहले तक मां दंतेश्वरी के छत्र के साथ राजा और रानी रथ पर विराजमान रहते थे। रथ को खींचने की जिम्मेदारी सिर्फ किलेपाल क्षेत्र के ग्रामीणों की होती थी। अब ग्रामीण दोबारा उसी परंपरा को शुरू करने की मांग पर अड़े हुए हैं।
बस्तर दशहरे में शामिल होंगे शाह
बस्तर दशहरा महोत्सव में इस बार एक खास अवसर बनने जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पारंपरिक मुरिया दरबार में शामिल होंगे। बस्तर के इतिहास और संस्कृति में मुरिया दरबार का विशेष महत्व है, जहां आदिवासी प्रतिनिधि अपनी परंपरागत समस्याओं और मुद्दों को लेकर एक मंच पर एकत्रित होते हैं।अमित शाह का यह दौरा बस्तर के लिए अहम माना जा रहा है। दशहरा महोत्सव के दौरान हजारों की संख्या में ग्रामीण और श्रद्धालु जगदलपुर पहुंचते हैं। इस आयोजन में उनकी मौजूदगी न केवल परंपरा को सम्मान देने का संदेश है, बल्कि आदिवासी समाज से सीधा संवाद स्थापित करने का अवसर भी होगा।



