
रायपुर – हर साल 15 सितंबर को भारत में इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। यह दिन सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती को समर्पित है। इस साल के मौके पर छत्तीसगढ़ के इतिहास से जुड़ा एक खास इंजीनियरिंग किस्सा आपको याद दिलाते है। धमतरी के Murrum Silli Dam का निर्माण, जिसमें उस युग के तकनीकी नवाचार और स्थानीय विकास दोनों झलकते हैं।
पहले जानते है क्यों मनाया जाता है इंजीनियर्स डे?
इंजीनियर्स डे उन अभियंताओं को सम्मानित करने का दिन है जिन्होंने देश के भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढाँचे को बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई। 15 सितंबर, 1968 से यह दिन राष्ट्रीय रूप में मनाया जा रहा है ताकि इंजीनियरिंग के महत्व और इंजीनियरों की सेवाओं को लोगों के सामने लाया जा सके।
छत्तीसगढ़ का इंजीनियरिंग गर्व — Murrum Silli Dam
धमतरी जिले में स्थित Murrum Silli Dam (Madam Silli Dam) 1914-1923 के दौरान बना और इसे एशिया के पहले earth-fill embankment dam में से एक माना जाता है। उस समय की उन्नत तकनीक—विशेषकर siphon spillways—का उपयोग इस परियोजना को तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण बनाता है। इस डैम ने आसपास के क्षेत्रों में सिंचाई व्यवस्था को मजबूती दी और स्थानीय कृषि को स्थिर कर दिया।
डैम के निर्माण में राजेंद्रनाथ सुर और उनका योगदान
परियोजना के तकनीकी नेतृत्व में रहे R. S. Rajendranath Sur का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उनके उत्कृष्ट इंजीनियरिंग योगदान के लिए उन्हें 3 जून 1929 को ब्रिटिश शासन द्वारा ‘Rai Saheb’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। हालाँकि, उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों में उनका जन्मस्थान या मूल निवासी विवरण स्पष्ट रूप से दर्ज नहीं है। ऐतिहासिक अभिलेखों और प्रमुख संदर्भों में उनके कार्य और सम्मान का ज़िक्र मिलता है, पर व्यक्तिगत जियोग्राफ़िकल जानकारी सीमित है। फिर भी, उनके तकनीकी योगदान ने इस परियोजना को छत्तीसगढ़ के इंजीनियरिंग इतिहास में एक स्थायी स्थान दिलाया।

Murrum Silli Dam बताता है कि कैसे निर्माण-कौशल और नवाचार से स्थानीय समुदायों की दशा बदल सकती है। इंजीनियर्स डे पर ऐसे किस्से यह याद दिलाते हैं कि इंजीनियरिंग केवल गणित या डिजाइन नहीं — बल्कि समाज सुधार और जीवन स्तर उठाने का माध्यम भी है।




