भारतीय संस्कृति की आत्मा है संस्कृत, नई पीढ़ी तक पहुँचाना होगा : CM साय

रायपुर – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि संस्कृत भारतीय संस्कृति की आत्मा है और इसे नई पीढ़ी तक पहुँचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संस्कृत केवल प्राचीन भाषा नहीं, बल्कि आधुनिक युग में भी उतनी ही प्रासंगिक और उपयोगी है। साय रविवार को राजधानी रायपुर के संजय नगर स्थित सरयूपारीण ब्राह्मण सभा भवन में आयोजित विराट संस्कृत विद्वत्-सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
संस्कृत : विरासत और विज्ञान की भाषा
मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत हमारी विरासत की आधारशिला है। इसमें दर्शन, व्याकरण और विज्ञान का अनमोल भंडार है। वेदों और उपनिषदों में आयुर्वेद, गणित और ज्योतिष जैसे विषयों का ज्ञान आज भी शोध का विषय है। संस्कृत शिक्षा विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास और तार्किक चिंतन को बढ़ावा देती है। युवाओं को संस्कृत साहित्य से जोड़ना समय की जरूरत है, ताकि वे इस विरासत को आगे बढ़ा सकें।साय ने सुझाव दिया कि तकनीक का इस्तेमाल कर संस्कृत शिक्षा को और आकर्षक व उपयोगी बनाया जा सकता है।मुख्यमंत्री ने संस्कृत भारती छत्तीसगढ़ और सरयूपारीण ब्राह्मण सभा द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन से संस्कृत विद्या के प्रचार-प्रसार और नई पीढ़ी को जोड़ने का संकल्प लेना चाहिए।
सम्मेलन में संस्कृत भारती के प्रांताध्यक्ष डॉ. दादू भाई त्रिपाठी ने कहा कि एक समय संस्कृत जनभाषा के रूप में प्रचलित थी। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा का सीधा संबंध संस्कृत से है और आज भी सरगुजा क्षेत्र के आदिवासी विद्यार्थी बड़ी संख्या में संस्कृत पढ़ रहे हैं।
सम्मान और विमोचनकार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया। गठिया रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्लेषा शुक्ला,उत्कृष्ट तैराक अनंत द्विवेदी,और पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सच्चिदानंद शुक्ला को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सभा का प्रचार पत्रक भी जारी किया गया।




