
रायपुर – छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की कानूनी परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सोमवार को बिलासपुर हाईकोर्ट ने उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने ईओडब्ल्यू-एसीबी द्वारा संभावित गिरफ्तारी से राहत की मांग की थी। हाईकोर्ट ने उन्हें लोअर कोर्ट जाने की सलाह दी।
इधर, रायपुर की विशेष ईडी कोर्ट में भी सुनवाई हुई, जहां प्रवर्तन निदेशालय ने चैतन्य बघेल के खिलाफ 7,000 पन्नों का चालान पेश किया। इस चालान में 3,200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले से जुड़े लेन-देन और चैतन्य बघेल की कथित भूमिका का विस्तार से उल्लेख किया गया है। ईडी का दावा है कि इस घोटाले में बघेल के माध्यम से 1,000 करोड़ रुपए से अधिक की हेराफेरी हुई और उन्हें लगभग 16 करोड़ रुपए कमीशन के तौर पर मिले।
इस बीच, ईओडब्ल्यू-एसीबी ने भी चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी और 7 दिन की रिमांड की मांग की। इसके विरोध में बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि जांच एजेंसियां कानून का दुरुपयोग कर रही हैं। अधिवक्ता फैजल रिजवी ने कोर्ट में कहा कि, “चैतन्य बघेल दो महीने से रायपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं। इस दौरान उनसे कोई पूछताछ नहीं हुई। अब जबकि ईडी ने चालान पेश कर दिया है, तभी ईओडब्ल्यू उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है। यह स्पष्ट रूप से उत्पीड़न है।
आज की सुनवाई के बाद कोर्ट ने चैतन्य बघेल को वापस रायपुर केंद्रीय जेल भेज दिया। इस दौरान वे चुपचाप नजर आए और मीडिया से कोई बात नहीं की।
अब मंगलवार को कोर्ट ईओडब्ल्यू-एसीबी की गिरफ्तारी और रिमांड अर्जी पर फैसला लेगी। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि शराब घोटाले के मामले में चैतन्य बघेल को न केवल ईडी, बल्कि अब राज्य की जांच एजेंसी के सवालों का भी सामना करना पड़ेगा।




