
सरकार लाएगी सख्त कानून, कांग्रेस ने साधा निशाना
रायपुर – छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा एक बार फिर सियासी तकरार का केंद्र बन गया है। खास तौर पर बस्तर क्षेत्र में धर्मांतरण की बढ़ती शिकायतों ने सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हाल ही में बस्तर दौरे के दौरान धर्मांतरण के खिलाफ ठोस कदम उठाने और सख्त कानून लाने की बात कही। उन्होंने कहा कि भोले-भाले आदिवासियों को बहला-फुसलाकर और लालच देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है, जो आदिवासी और सनातन संस्कृति के लिए खतरा है। साथ ही, इससे प्रदेश की डेमोग्राफी बदलने की आशंका भी जताई जा रही है।
सरकार का सख्त रुख
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने भी इस मुद्दे पर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार धर्मांतरण रोकने के लिए गंभीर है। लगातार कार्रवाई की जा रही है और बहुत जल्द कठोर कानून लाया जाएगा।” सरकार का मानना है कि धर्मांतरण के चलते न केवल सांस्कृतिक पहचान खतरे में है, बल्कि सामाजिक संरचना पर भी असर पड़ रहा है।
कांग्रेस का पलटवारभाजपा पर लगाए गंभीर आरोप
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने दावा किया कि भाजपा की 15 साल की सरकार में सबसे ज्यादा चर्च बने और धर्मांतरण की घटनाएं बढ़ीं। उन्होंने कहा, “भाजपा दिखावे के लिए धर्मांतरण की बात करती है, लेकिन उनके शासन में ही सबसे ज्यादा धर्मांतरण हुआ।” कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा इस मुद्दे को केवल राजनीतिक लाभ के लिए उछाल रही है।
बस्तर बना धर्मांतरण का हॉटस्पॉट
बस्तर में धर्मांतरण की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में कथित तौर पर लालच और प्रलोभन देकर लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में, बल्कि शहरी इलाकों में भी धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है। इसे देखते हुए सरकार अब सख्त कानून लाने की तैयारी में है।
धर्मांतरण: सियासत के साथ चिंता का विषय
छत्तीसगढ़ की राजनीति में धर्मांतरण लंबे समय से एक ज्वलंत मुद्दा रहा है। आदिवासी क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी इलाकों में भी इसकी शिकायतें बढ़ रही हैं। यह न केवल सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का सवाल है, बल्कि प्रदेश की डेमोग्राफी पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है। ऐसे में सख्त कानून की मांग तेज हो रही है, लेकिन इस मुद्दे पर सियासी रस्साकशी भी थमने का नाम नहीं ले रही।




