IPS पर यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप… सब इंस्पेक्टर की पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप,जांच शुरू

रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस महकमे में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सिस्टम की जड़ों को हिला दिया है। 2003 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रतनलाल डांगी पर एक सब इंस्पेक्टर की पत्नी ने गंभीर यौन उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है। शिकायत में पीड़िता ने कहा है कि बीते सात सालों से वह मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न झेलती रही, पर अब उसने हिम्मत कर सच्चाई उजागर की है। महिला ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए विभाग को कई डिजिटल साक्ष्य भी सौंपे हैं।
सूत्रों के अनुसार पीड़िता और आईपीएस डांगी के बीच संपर्क वर्ष 2017 में सोशल मीडिया के माध्यम से शुरू हुआ था। उस वक्त डांगी कोरबा में एसपी थे। बाद में दंतेवाड़ा में तैनाती के दौरान वीडियो कॉल के ज़रिए उनके बीच बातचीत होती रही। आरोप है कि समय के साथ डांगी ने महिला पर निजी बातचीत, वीडियो कॉल और मुलाकातों के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। महिला का दावा है कि वह बंगले पर बुलाए जाने, सुबह से देर रात तक वीडियो कॉल पर रहने की मजबूरी और नक्सल प्रभावित इलाकों में तबादले की धमकियों से तंग आ चुकी थी। शिकायत में यह भी कहा गया है कि डांगी ने कई बार व्यक्तिगत पलों को रिकॉर्ड किया और उसके ज़रिए ब्लैकमेलिंग की कोशिश की। महिला ने यह भी आरोप लगाया कि कई डीएसपी, टीआई और एएसआई स्तर के अधिकारी उस पर समझौते का दबाव बना रहे हैं। मामला सामने आते ही पुलिस महकमे में तेज़ हलचल मच गई है।
आईपीएस डांगी ने डीजीपी को लिखी चिट्ठी
दूसरी ओर, आईपीएस रतनलाल डांगी ने भी डीजीपी को एक चिट्ठी लिखकर अपने ऊपर लगे आरोपों को नकार दिया है। डांगी ने महिला और उसके एसआई पति पर ब्लैकमेलिंग और षड्यंत्र रचने के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि महिला निजी पलों के स्क्रीनशॉट लेकर धमकाती रही और झूठे मामले में फँसाने की कोशिश करती रही।
विभाग ने शुरू की जांच
इस मामले की जांच की जिम्मेदारी 2001 बैच के आईपीएस डॉ. आनंद छाबड़ा और आईपीएस मिलना कुर्रे को सौंपी गई है। विभाग ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए प्राथमिक जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई तय होगी।
यह पहला मौका नहीं है जब किसी वरिष्ठ आईपीएस पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हों। इससे पहले भी एक वरिष्ठ अधिकारी पर आरोप लगे थे लेकिन कार्रवाई नहीं हुई थी। यही वजह है कि यह मामला अब सिर्फ विभागीय नहीं बल्कि सार्वजनिक बहस का मुद्दा बनता जा रहा है।




